500 साल पहले चट्टान से प्रकट हुई प्रतिमा वाला मंदिर, विदेशों से आने वाले जोड़ों को शादी के लिए आमंत्रित करता है।500 साल पहले चट्टान से प्रकट हुई प्रतिमा वाला मंदिर, विदेशों से आने वाले जोड़ों को शादी के लिए आमंत्रित करता है।

राजस्थान की सांस्कृतिक और न्यायिक राजधानी के साथ-साथ जोधपुर की पहचान है, एक धार्मिक नगरी। यहां कई ऐतिहासिक मंदिर हैं जिनपर श्रद्धालुओं का गहरा विश्वास है। जोधपुर का रातानाडा गणेश मंदिर, जहां हर शुभ और मांगलिक कार्य का आरंभ होता है, इस मान्यता से भरा हुआ है कि पहला निमंत्रण यहीं जाता है, जिसके बाद शुभ कार्य की शुरुआत होती है।

500 साल पहले चट्टान से प्रकट हुई प्रतिमा वाला मंदिर, विदेशों से आने वाले जोड़ों को शादी के लिए आमंत्रित करता है।
500 साल पहले चट्टान से प्रकट हुई प्रतिमा वाला मंदिर, विदेशों से आने वाले जोड़ों को शादी के लिए आमंत्रित करता है।

एक ऐसा मंदिर जिसमें 500 साल पहले एक अद्वितीय प्रतिमा ने चट्टान से प्रकट हुई थी, आज यहां हर वर्ग के लोगों को एकजुट करने का केंद्र बना हुआ है। यहां हर वर्ग के लोगों को एक दूसरे से मिलने, बातचीत करने और साझा करने का एक स्वार्थहीन और समृद्ध स्थान है।

मंदिर की प्रतिमा ने अपने आस-पास के क्षेत्र को एक सामृद्धिक और सहयोगी समुदाय में बदल दिया है, जहां लोग आपसी समर्थन और साझेदारी का आनंद लेते हैं। इसे एक विशेषता के रूप में माना जाता है क्योंकि यह विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को एकत्र करने का केंद्र बन गया है।

मंदिर ने एक नया पहला न्योता स्थापित किया है, जिसे विदेशों से आने वाले जोड़ों को शादी के लिए आमंत्रित करने का मकसद है। इस नए योजना के माध्यम से, मंदिर ने सामाजिक एकता और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया है और विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं के बीच समर्थन बढ़ाया है।

इस मंदिर का उद्दीपन एक नए सोच और समृद्धि की दिशा में हुआ है, जिसने लोगों के बीच एक नया सांगठनिक और सामाजिक साजगी का संदेश दिया है।

वर्तमान में, राजस्थान में 23 नवम्बर को लगभग 50 हजार शादियां हो रही हैं। रातानाडा गणेश मंदिर में शादी के निमंत्रण पत्रों की बारिश हो रही है, जिससे जोधपुर से लेकर राजस्थान और विदेश में रहने वाले प्रवासी राजस्थानियों तक तक पहुंच रही हैं।

राजस्थान की सांस्कृतिक और न्यायिक राजधानी के साथ-साथ जोधपुर की पहचान है, एक धार्मिक नगरी। यहां कई ऐतिहासिक मंदिर हैं जिनपर श्रद्धालुओं का गहरा विश्वास है। जोधपुर का रातानाडा गणेश मंदिर, जहां हर शुभ और मांगलिक कार्य का आरंभ होता है, इस मान्यता से भरा हुआ है कि पहला निमंत्रण यहीं जाता है, जिसके बाद शुभ कार्य की शुरुआत होती है।

रातानाडा गणेश मंदिर के पुजारी, महेश अबोटी, ने बताया कि देश और विदेशों में जहां राजस्थान के लोग रहते हैं, वहां से भी उन्हें शादी के निमंत्रण प्राप्त हो रहे हैं। अमेरिका और लंदन के अलावा, दूसरे राज्यों से भी जैसे कि एमपी और महाराष्ट्र से भी निमंत्रण पत्र पहुंचे हैं। विदेशों से आए कार्डों में, हम उन्हें लाल कपड़े में गणेश जी की मूर्ति बनाकर देते हैं, और जब विवाह सफलता से पूरा होता है, तो वे गणेशजी को इस मंदिर में वापस पहुंचाते हैं।

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23 नवंबर को, राजस्थान भर में 50 हजार से भी अधिक शादियां हो रही हैं, क्योंकि देवउठनी एकादशी के दिन यानी द्वादशी तिथि में शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह होता है। इस मौके पर, लोगों में गजब का उत्साह है और इस तारीख को देखते हुए रातानाडा गणेश मंदिर में हजारों की संख्या में निमंत्रण पहुंच चुके हैं। रातानाडा गणेश मंदिर के महंत के अनुसार, हजारों कार्ड पहुंच चुके हैं इस खास मौके के लिए।

यह है मान्यता

मान्यता है कि विवाह कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व, रातानाडा मंदिर से प्रतीकात्मक मिट्टी के विनायक को लेकर, व्यक्ति विवाह स्थल परिसर में विराजित करता है, ताकि विवाह समारोह निर्विघ्न रूप से संपन्न हो सके। श्रद्धालु भक्तजन घर में होने वाले प्रत्येक वैवाहिक कार्य के लिए पहला निमंत्रण प्रथम पूज्य रातानाडा गणेशजी को देने पहुंचते हैं।

शुभ दिन और मुहूर्त में, मंदिर में विधिवत मिट्टी के मांडण से युक्त एक पात्र में गणेशजी को प्रतीकात्मक मूर्ति के रूप में स्थापित करते हैं, और इसे गाजे-बाजों के साथ विवाह होने वाले व्यक्ति के घर ले जाते हैं। विवाह कार्य पूर्ण होने के बाद, पुनः आभार सहित, गणपति की प्रतीकात्मक मूर्ति को मंदिर लौटाया जाता है।

प्रकट हुई थी मूर्ति

करीब पांच सौ साल पहले, प्राकृतिक चट्टान में गणेश मूर्ति का प्राकट्य हुआ था, इसके बाद विक्रम संवत 1857 में पहाड़ी पर एक छोटा सा मंदिर बनाया गया था। हर तीर्थ यात्रा के सफर का आगाज रातानाडा गणेश मंदिर के दर्शन से ही किया जाता है। जोधपुर में प्रत्येक तीसरे साल, पुरुषोत्तम मास में होने वाली भोगिशैल परिक्रमा में मारवाड़ के विभिन्न क्षेत्रों से दर्शनार्थी पहुंचते हैं। मारवाड़ के प्रमुख मेलों में, रातानाडा गणेश मेला भी अपना विशिष्ट स्थान रखता है।

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