बाड़मेर के CRPF जवान रामाराम का गुरुवार का उनके पैतृक गांव शिवकर मालियों की ढाणी (रामसर कुआं) में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बेटे राहुल ने रामाराम को मुखाग्नि दी। इस दौरान लोगों ने भारत माता की जय और वंदे मातरम् के नारे लगाए। इससे पहले CRPF जवान रामाराम का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा तो उनकी पत्नी सुध बुध खो बैठीं। वीरांगना ने पति को सैल्यूट कर आखिरी विदाई दी। कॉन्स्टेबल रामाराम की 20 मई को आंध्र प्रदेश में ड्यूटी के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। रामाराम की पार्थिव देह गुरुवार को अहमदाबाद होते हुए बाड़मेर पहुंची थी। यहां सदर थाने के आगे उनकी पार्थिव देह के दर्शन करने के लिए ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा। ड्यूटी के दौरान अचानक हुए बेहोश
CRPF के ASI कृपाल सिंह ने बताया- रामाराम, सीआरपीएफ की 139 बटालियन में कॉन्स्टेबल पद पर कार्यरत थे। आंधप्रदेश के अन्नामय्या जिले की सीआईएटी-3 कालीकिरी चितूर ट्रेनिंग सेंटर में 20 मई की शाम करीब 5:30 बजे रामाराम अचानक बेहोश हो गए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, जहां जांच के बाद डॉक्टर ने उनको मृत घोषित कर दिया था। 20 मई को हुआ था देहांत
CRPF जवान के भाई अचलाराम ने बताया- भाई रामाराम 15 मई को ही छुट्टियां बिताकर ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे और 18 मई को आंध्र प्रदेश पहुंचे थे। 20 मई को ड्यूटी के दौरान उनके निधन की सूचना मिली थी। गुरुवार को उनकी पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंची। यहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। चार भाइयों में सबसे बड़े थे रामाराम
अचलाराम ने बताया- हम चार भाई हैं। सबसे बड़े रामाराम थे, जो सीआरपीएफ में कार्यरत थे। बाकी हम तीनों भाई सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे। रामाराम के तीन बेटे हैं। सबसे बड़ा बेटा अरविंद, दूसरे नंबर पर राहुल और सबसे छोटा बेटा दिलीप है। पत्नी गृहिणी हैं। पिता का स्वर्गवास कुछ साल पहले हो चुका है। रामाराम को दिया जाए शहीद का दर्जा
समाज के दमाराम माली ने बताया- रामाराम ने करीब 22 साल की नौकरी सीआरपीएफ की है। उन्होंने देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहे। ड्यूटी पर रहने के दौरान उनका निधन हुआ है। हमारी मांग है कि इनको शहीद का दर्जा दिया जाए। तस्वीरों में देखिए जवान की अंतिम यात्रा…

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