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DU में लॉ में पढ़ाया जाएगा मनुस्मृति:सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने कहा ये महिलाओं और पिछड़े तबकों को पीछे ले जाएगा

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दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ फैकल्टी ने अपने ग्रेजुएशन प्रोग्राम में ज्यूडिशरी (लीगल मैथर्ड) पेपर में प्राचीन संस्कृत ग्रंथ मनुस्मृति को शामिल करने की तैयारी कर ली है, इसको लेकर यूनिवर्सिटी के कुछ फैकल्टी मेम्बर ने चिंता जताई है।

सिलेबस में ये आने वाले एकेडमिक ईयर में शामिल किए जाने के लिए के लिए शुक्रवार 12 जुलाई को DU के एकेडमिक काउंसिल के सामने रखा जाएगा। मनुस्मृति मनुभाष्य जिसे जी.एन झा ने लिखा है, उसे बैचलर ऑफ लॉ या LLB के यूनिट-5 के अंतर्गत ग्रेजुएशन सिलेबस में शामिल करने का सुझाव दिया जाएगा।

मनुस्‍मृति में वर्ण व्‍यवस्‍था यानी जाति व्‍यवस्‍था का पूरा विश्‍लेषण लिखा हुआ है।

NEP 2020 में शामिल करने का सुझाव

लॉ फैकल्टी के डीन प्रोफेसर अंजू वली टिकु ने कहा, ‘मनुस्मृति को NEP 2020 में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें भारत की सोच को शामिल करने का विचार शामिल है। जिस यूनिट में इसे शामिल किया गया है, वो एक एनालिटिक यूनिट है ये एनालिटिक को मजबूत करता है। ये समझने के लिए एक बेहतर कदम के रूप में होगा।

वहीं सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने 10 जुलाई को DU वाइस चांसलर योगेश सिंह को लेटर लिखा कि मेरी जानकारी में आया है कि मनुस्मृति को स्टूडेंट्स को सजेस्ट रीडिंग (ऑप्शनल) के रूप में पढ़ने की बात कही है, जो नहीं होना चाहिए। ये महिलाओं और पिछड़े तबके के लिए एक खराब फैसला होगा।

देश में 85 प्रतिशत आबादी हाशिए पर है और इसमें 50 प्रतिशत महिलाएं हैं।

महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ
सोशल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने लेटर में लिखा -महिलाओं के आगे बढ़ने के लिए एजुकेशन बहुत जरूरी है और मनुस्मृति मे कई सारे चेपटर्स ऐसे हैं जो महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ हैं। मनुस्मृति के किसी भी हिस्से को शामिल करना संविधान के खिलाफ होगा।

लॉ फैकल्टी 1 जुलाई से लागू हुए नए क्रिमिनल लॉ पर तीन नए सिलबेस जोड़ने की तैयारी कर रही है। इंडियन पीनल कोड 1860, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CRPC) और साक्ष्य अधिनियम में बदल दिया गया है।

महाराष्ट्र राज्य स्कूल शिक्षा विभाग भी कर चुका है कोशिश
महाराष्ट्र राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने स्कूल सिलेबस (एससीएफ) को नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के साथ मिलाने के बाद ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली’ (IKS) मई 2024 को एक ड्राफ्ट पिछले दिनों पेश किया था। IKS ड्राफ्ट के लिए सुझाव और आपत्तियां मांगी गई थीं। इसमें सुझाव दिया गया था कि संतों जैसे धार्मिक व्यक्तित्वों के जीवन का अध्ययन किया जाना चाहिए और साथ ही भगवद गीता और मनुस्मृति के श्लोकों का पाठ भी किया जाना चाहिए।

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