प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा Deepfake पिक्चर और वीडियो के मुद्दे पर आयोजित बैठक के बारे में सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक बैठक की घटना को संबोधित किया है। बैठक में विभिन्न मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों का शामिल होने की उम्मीद है, जिसमें राजीव चंद्रशेखर भी शामिल हो सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में फेसबुक-इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा और गूगल जैसी कंपनियों को भी शामिल किया गया है, जिन्हें Deepfake पिक्चर और वीडियो के प्रसार के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए बुलाया गया है।
पीएम मोदी ने हाल ही में एक घटना का उल्लेख किया, जिसमें एक डीपफेक वीडियो में उन्हें फर्जी तरीके से गरबा करते दिखाया गया था। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत के दौरान सतर्क रहने की अपील की और सार्वजनिक माध्यमों को विशेष ध्यान देने का आदान-प्रदान किया।
इस बैठक का उद्देश्य, इस तरह के असत्य और भ्रांतिकारी सामग्री के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करना और सार्वजनिकता को जागरूक करना है। बैठक में सभी संबंधित पक्षों को सुनने का एक मंच दिया जाएगा ताकि सही और सुरक्षित इंटरनेट उपयोग के लिए कदम उठाए जा सकें।
हाल ही में साउथ की प्रमुख अभिनेत्री रश्मिका मंदाना के एक Deepfake वीडियो का वायरल होना विवादों को बढ़ा दिया, जिसके बाद बॉलीवुड से लेकर राजनीतिक क्षेत्र तक में इस पर कई रूपों में चर्चा हुई। इस परिस्थिति में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने गलत सूचनाओं और डीपफेक से उत्पन्न चुनौतियों के सामने उत्तरदाताओं को सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाने के लिए एक नई एडवाइजरी जारी की है।
एमईआईटीवाई ने पिछले छह महीनों के भीतर दूसरी एडवाइजरी जारी की है, जिसमें ऑनलाइन प्लेटफार्मों से डीपफेक के प्रसार के खिलाफ सख्ती से कदम उठाने का आग्रह किया गया है। यह एडवाइजरी निर्देशित करने का प्रयास कर रही है ताकि ऑनलाइन माध्यमों पर विभिन्न तरह की दुरुपयोगिता और भ्रांतिकारी सामग्री से निपटा जा सके।
इस प्रमुख मुद्दे पर सरकार का सकारात्मक स्थान लेने का प्रयास, साथ ही सामाजिक मीडिया प्लेटफार्मों को जिम्मेदारीपूर्ण रूप से डीपफेक और गलत सूचनाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का संकेत करता है।
क्या है नियम?
आईटी एक्ट 2021 के तहत, किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा गलत सूचना के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को कानूनी रूप से बाध्य किया गया है। जब कोई उपयोगकर्ता या सरकारी प्राधिकारी से गलत सूचना की रिपोर्ट प्राप्त करता है, तो उन्हें 36 घंटों के भीतर ऐसी सामग्री को हटाना अनिवार्य है। इस आवश्यकता का अनुपालन न करना नियम 7 के अंतर्गत आता है, जो प्रभावित व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों के तहत अदालत में जाने का अधिकार प्रदान करता है।
इसमें यह भी उल्लेख किया जाता है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को गलत सूचना के प्रसार की रोकथाम के लिए निर्मित निर्देश देना एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन स्रोतों पर जिम्मेदार रूप से संबंधित संगीता और साकारात्मक वातावरण बना रह सके।
क्या है Deepfake
Deepfake वीडियो में किसी व्यक्ति के चेहरे को डिजिटल माध्यम से बदलना एक संगीता है जिसमें उसकी पहचान को छुपाने के लिए उसकी जगह किसी दूसरे चेहरे का प्रयोग होता है। यह विधि किसी को भ्रांति में डालने का साधन बन सकती है, और इसका उपयोग किसी को आसानी से धोखा देने के लिए किया जा सकता है। इसमें मशीन लर्निंग (ML) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लिया जाता है, जो चेहरे को विनिर्दिष्ट तकनीकी प्रक्रिया के माध्यम से प्रस्तुत करने में सक्षम होते हैं।