आईआईटी जोधपुर और रेखी फाउंडेशन ने मिलकर ‘खुशी का विज्ञान’ (साइंस ऑफ हैप्पीनेस) नाम की एक नई पहल शुरू की है। इसका मकसद यह है कि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों और युवाओं का भावनात्मक स्वास्थ्य भी अच्छा रहे, यानी वे मानसिक रूप से भी मजबूत और खुश रहें। आईआईटी जोधपुर के स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स (एसओएलए) द्वारा संचालित यह कार्यक्रम शिक्षा, शोध और बाहरी आउटरीच के माध्यम से प्रसन्नता के विज्ञान पर केंद्रित एक समग्र वातावरण तैयार करेगा। इस पहल की औपचारिक शुरुआत रेखी फाउंडेशन फॉर हैप्पीनेस के संस्थापक डॉ. सतिंदर सिंह रेखी और आईआईटी-जोधपुर के अधिष्ठाता (संसाधन एवं पूर्व छात्र मामले) प्रो. कौशल देसाई द्वारा एमओयू पर हस्ताक्षर के साथ हुई। कार्यक्रम के समन्वयक की जिम्मेदारी प्रो. अंकिता शर्मा को सौंपी गई है। यह पहल पाठ्यक्रम में खुशी के अध्ययन को शामिल करने, भलाई पर वैज्ञानिक शोध को प्रोत्साहित करने और परिसर के बाहर भी आउटरीच कार्यक्रम शुरू करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाएगी। आईआईटी में बनेगी खास लैब इस पहल के तहत आईआईटी जोधपुर में एक खास लैब बनाई जाएगी, जिसमें छात्र और शोधकर्ता यह जान सकेंगे कि लोग कैसे खुश रह सकते हैं और मानसिक रूप से मजबूत बन सकते हैं। यहां पर व्यवहार और भावनाओं से जुड़े कई प्रयोग और अध्ययन किए जाएंगे, जिससे छात्रों को अपने जीवन में खुश रहने के तरीके सीखने में मदद मिलेगी। आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ पढ़ाई में अच्छे बच्चों को तैयार करना नहीं है, बल्कि उन्हें एक अच्छा और संतुलित इंसान भी बनाना है। रेखी फाउंडेशन के साथ यह पहल इसी दिशा में एक अहम कदम है। डॉ. सतिंदर सिंह रेखी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य बहुत जरूरी है, लेकिन कई बार लोग इस पर बात करने से हिचकिचाते हैं। हम चाहते हैं कि छात्र खुशी से जुड़ी बातें सीखें और अपने जीवन में अपनाएं, जिससे वे न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि बाकी जीवन में भी सफल हो सकें। इस तरह, आईआईटी जोधपुर की यह नई पहल छात्रों को न सिर्फ पढ़ाई में, बल्कि जीवन में खुश और संतुलित रहने के लिए तैयार करेगी। यह पहल सभी के लिए एक सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश है।