IPL 2025 के फाइनल में आज मैदान पर तो सिर्फ 22 खिलाड़ी खेलेंगे, लेकिन फैंटेसी गेम के ऐप्स पर 11 करोड़ लोग दांव लगाएंगे। 49 रुपए में टीम बनाकर करोड़पति बनने का सपना देख रहे लोगों के जीत की संभावना 0.000008% से भी कम होती है। फैंटेसी गेम्स के पीछे की पूरी कहानी क्या है, आपके 49 रुपए से कौन बन रहा करोड़पति और इससे सबसे ज्यादा किसे फायदा; भास्कर एक्सप्लेनर में पूरी कहानी… भारत में ‘स्किल बेस्ड’ ऑनलाइन गेम की कैटेगरी में सबसे मशहूर है- फैंटेसी गेम्स। इनमें एंट्री फी देकर एक कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेना होता है। अगर आपकी टीम जीतती है तो ईनाम की रकम मिल जाती है। फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) के मुताबिक, भारत में करीब 22.5 करोड़ लोग फैंटेसी स्पोर्ट्स एप का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन 85% भारतीय क्रिकेट के रियल गेम्स पर ही पैसा लगाते हैं। फैंटेसी क्रिकेट टीम से कैसे होती है कमाई? एक बड़ा सवाल है कि क्या महज कुछ रुपए की एंट्री फी देकर करोड़ों रुपए का ईनाम जीता जा सकता है। 49 रुपए लगाकर करोड़ों रुपए जीतना मुश्किल है या नामुमकिन? मान लीजिए कोई यूजर IPL के फाइनल मैच के लिए एक बेस्ट फैंटेसी टीम बनाना चाहता है। ऐसे में उसे दोनों टीमों के 11 खिलाड़ी और 10 इम्पैक्ट प्लेयर्स में से बेस्ट 11 खिलाड़ी चुनने होंगे, यानी कुल खिलाड़ी हुए 32, शर्त ये है कि एक टीम से अधिकतम 7 खिलाड़ी ही चुने जा सकते हैं। दिल्ली के एहलकॉन इंटरनेशनल स्कूल के मैथ्स डिपार्टमेंट के HOD राजीव झा बताते हैं- किसी एक यूजर के लिए इतनी टीमें बनाना भी असंभव है, क्योंकि दोनों टीमों के अंतिम ११ खिलाड़ी घोषित होने के बाद टीम बनाने के लिए सिर्फ 20 से 25 मिनट का समय मिलता है, जबकि मैन्युअली करोड़ों टीमें बनाने के लिए सालों का समय लग सकता है। ड्रीम 11 जैसे प्लेटफॉर्म की शर्त ये भी है कि 49 रुपए एंट्री फीस वाले एक कॉन्टेस्ट के लिए एक यूजर अधिकतम 20 टीमें ही बना सकता है। यानी सिर्फ ज्यादा से ज्यादा टीमें बनाने से कोई यूजर जीत के करीब भी पहुंच सकेगा, ये सिर्फ एक भ्रम है। जीत की संभावना इतनी कम, फिर रोज करोड़ों रुपए क्यों लुटाते हैं भारतीय? फैंटेसी एप पर जो चंद लोग जीतते हैं, उनका बड़े पैमाने पर प्रचार किया जाता है, उन्हें देखकर यूजर जीत की उम्मीद में पैसा लगाने लगते हैं। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में हरदोई के राजकुमार ने 2024 में IPL के दौरान फैंटेसी टीम बनाकर 3 करोड़ का ईनाम जीता। ड्रीम-11 की टीम ने उन्हें वीडियो शूट के लिए मुंबई बुलाया। जब वे नहीं गए तो टीम ने हरदोई आकर उनका शूट किया। अब उनकी देखा-देखी इलाके के हजारों लोग फैंटेसी एप पर पैसा लगाने लगे। स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट सिद्धांत अने कहते हैं, ‘रियल मनी गेम्स को इस तरह डिजाइन किया गया है कि जीत की उम्मीद लोगों को आकर्षित करती है। जल्दी पैसा मिलने का लालच ही इन गेम्स की सबसे बड़ी ताकत है।’ KPMG की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 लाख रुपए से कम की सालाना आमदनी वाले लोगों में से करीब 40% लोग हफ्ते में 5 या उससे ज्यादा बार फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलते हैं। वहीं 10 लाख रुपए से ज्यादा की सालाना आमदनी वाले सिर्फ 12% लोग फैंटेसी स्पोर्ट्स खेलते हैं। बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (NIMHANS) में मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार शर्मा कहते हैं, ‘कई यूजर्स शुरुआत में जिज्ञासा और उत्सुकता के चलते रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स से जुड़ते हैं, लेकिन धीरे-धीरे वे ‘गैम्बलर्स फैलेसी’ (जुएं के भ्रम) में फंसते जाते हैं। वे उम्मीद करते हैं लगातार हारने के बाद जीत भी मिलेगी।’ डॉ. मनोज के मुताबिक, अक्सर लोग पहले किसी और को जीतते देखते हैं, उसके बाद अपनी आर्थिक जरूरत या लालच के चलते खुद पैसा लगाना शुरू कर देते हैं। उन्हें लगता है कि वे अपनी किस्मत बदल देंगे, लेकिन नुकसान बढ़ने के बावजूद वे और ज्यादा पैसा लगाते रहते हैं। मध्य प्रदेश के 16 साल के प्रतीक के पिता की मजदूरी से रोजाना कमाई करीब 200 रुपए है। प्रतीक ने फैंटेसी एप का ऐड देखने के बाद पिता की आईडी से अकाउंट बनाकर हर मैच पर पैसा लगाने लगा। अब वह एप पर कई टीमें बनाकर औसतन रोजाना 300 से 400 रुपए हार जाता है। प्रतीक की मां मजदूरी करती हैं, प्रतीक जिद करके उन्हीं से पैसा लेता है। कई बार फैंटेसी क्रिकेट पर लोग बड़ी रकम भी हार जाते हैं। मार्च 2025 में बिहार में एक 38 साल के व्यक्ति ने कथित रूप से 2 करोड़ रुपए फैंटेसी क्रिकेट में हारने के बाद आत्महत्या कर ली। मौके से मिले सुसाइड नोट के मुताबिक, उन्हें कोविड के दौरान फैंटेसी क्रिकेट में पैसा लगाने की लत लगी थी। मई 2025 की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के 35 साल के किसान सूर्य प्रताप सिंह गेमिंग एप पर लूडो और फैंटेसी क्रिकेट के लगभग 19,500 गेम खेल चुके हैं। इनमें अक्सर वह हजार रुपए से ज्यादा का दांव लगाते हैं। सूर्य प्रताप ने एक बार एक ही दिन में 1.5 लाख रुपए गंवा दिए थे। सूर्य प्रताप कहते हैं, ‘मुझे गुजारा करने के लिए रोज दो से तीन हजार रुपए की जरूरत है, मुझे पता है कि मैं नहीं जीतूंगा, लेकिन मैं अब रुक नहीं सकता।’ आपके 49 रुपए से कौन करोड़ों कमा रहा? मान लीजिए एक कॉन्टेस्ट में 10 लोगों ने 50-50 रुपए लगाए। एक व्यक्ति अगर ये कांटेस्ट जीतता है तो उसकी ग्रॉस विनिंग 500 रुपए हुई, लेकिन उसे इससे बेहद कम रकम ही मिलती है। क्योंकि इन 500 रुपए में से सरकार और गेमिंग कंपनी भी अपना हिस्सा लेती है। सरकार का हिस्सा: 500 का 28% GST यानी 140 रुपए। अब बचे 360 रुपए। गेमिंग कंपनी का हिस्साः इस 360 रुपए का 20% यानी 72 रुपए गेमिंग कंपनी कमीशन लेती है। बाकी बचे 288 रुपए को नेट विनिंग अमाउंट कहा जाता है। सरकार का टैक्स डिडक्शनः इस 288 रुपए पर सरकार 30% TDS काटती है। अब सिर्फ 201.6 रुपए बचते हैं, जो जीतने वाले यूजर को मिलते हैं। ध्यान रहे, इसमें 50 रुपए यूजर ने ऑलरेडी लगा रखे हैं। वास्तविक रकम जीती 151 रुपए। यानी फैंटेसी गेम्स में सबसे ज्यादा फायदे में होती है सरकार, उसके बाद फैंटेसी गेम्स की कंपनियां और सबसे घाटे में होते हैं गेम्स खेलने वाले यूजर्स। —— ये भी खबर पढ़िए… IPL 2025 क्यों याद रखा जाएगा: पंत का हर रन 10 लाख का, बिना अपील ईशान आउट; क्या RCB जीतेगी पहला कप अंपायर ने आउट देने के लिए आधी उंगली उठाई, फिर खिलाड़ियों ने अपील की। लखनऊ के मालिक ने बड़े अरमानों से ऋषभ पंत को 27 करोड़ में खरीदा था, लेकिन उनका हर रन 10 लाख रुपए का पड़ा।महज 14 साल के वैभव सूर्यवंशी ने सबसे तेज सेंचुरी लगाई, तो उनसे 29 साल बड़े एमएस धोनी ने पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ 196 रन बनाए। पूरी खबर पढ़िए…