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जयपुर के जेईसीसी (जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर) में ‘मेंटल पीस’ कॉन्सर्ट में सितार वादक ऋषभ रिखीराम शर्मा ने अपनी सोलफुल प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत प्रेमियों से भरे इस भव्य आयोजन में ऋषभ की हर एक धुन ने शांति और सुकून का माहौल रच दिया। कॉन्सर्ट का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य और आंतरिक शांति को बढ़ावा देना था। जिसे ऋषभ शर्मा ने अपनी अद्भुत सितार वादन शैली से सजीव कर दिया। मंच से ऋषभ ने राग ‘योग’, ‘हंसध्वनि’ और ‘मधुवंती’ जैसी शांति प्रदान करने वाली रचनाओं का सुंदर संयोजन प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों के मन को भीतर तक छू लिया। यह कार्यक्रम दो भागों में आयोजित हुआ। पहले भाग में इंडियन ट्रेडिशनल और क्लासिकल म्यूजिक का जादू देखने को मिला। उनकी प्रस्तुति की शुरुआत एक धीमी आलाप से हुई। आते ही उन्होंने खमा घणी से सभी का स्वागत किया। इसके बाद पहलगाम की घटना में पीड़ित परिवार वालों के लिए सात बार ओम का उच्चारण करवाया। ऋषभ के सितार की एक-एक तार पर बिखरती ध्वनि ने सभागार में ध्यान और मौन का वातावरण बना दिया। इसके बाद उन्होंने जोरदार जोर-जाल (तालबद्ध गति) और जटिल तानों के साथ एक ऊर्जावान प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को सम्मोहित कर दिया। प्रत्येक रचना के साथ ऋषभ ने श्रोताओं को एक नए भावनात्मक सफर पर ले जाया, कभी आत्ममंथन तो कभी आनंद के क्षणों की अनुभूति कराई। दूसरे चरण में उन्होंने पधारो म्हारे देश की रचना को सुनाया। उनके साथ राजस्थान के मांगणियार कलाकार भी मंच पर मौजूद रहे, यहां सितार और खड़ताल की अलग तरह की जुगलबंदी देखने को मिली। इस कार्यक्रम में उन्होंने बॉलीवुड के सोलफुल गानों की धुनों को सितार से पेश कर माहौल को एक अलग ही अंदाज में पहुंचाया। इन म्यूजिक में न केवल मन की शांति का एहसास हुआ, बल्कि भारतीय संगीत की खुशबू की झलक भी नजर आई। ऋषभ रिखीराम शर्मा महान सितार वादक पंडित रविशंकर के सबसे युवा और अंतिम शिष्य हैं। उन्होंने मात्र 10 वर्ष की उम्र में सितार साधना शुरू कर दी थी और 13 वर्ष की उम्र में अपने पहले मंचीय प्रदर्शन के साथ संगीत की दुनिया में कदम रखा। आज, वे न केवल एक प्रख्यात सितार वादक हैं, बल्कि एक सक्रिय मानसिक स्वास्थ्य अधिवक्ता भी हैं। अपने संगीत के माध्यम से वे भावनात्मक उपचार और मानसिक शांति को बढ़ावा देने के मिशन में लगे हैं। कॉन्सर्ट के दौरान ऋषभ ने अपने संगीत के बीच-बीच में श्रोताओं को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा की चिकित्सा है। आज की तेज-रफ्तार जिंदगी में मानसिक शांति बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और भारतीय रागदारी इस दिशा में एक अद्भुत साधन हो सकती है। कार्यक्रम के अंत में ऋषभ की प्रस्तुति पर पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। कई दर्शकों ने कहा कि उनकी धुनों ने उन्हें भीतर से शांति का अनुभव कराया और जीवन की हलचल से कुछ पल के लिए दूर ले जाकर आत्मसाक्षात्कार का अवसर दिया। वीडियो और फोटो सहयोग: राहुल राजपुरोहित

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