JEE एड्वांस का रिजल्ट जारी हो चुका है। अब कैंडिडेट्स JoSAA की काउंसलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। ऐसे में हमने एक्सपर्ट्स से जाना कि काउंसलिंग के दौरान स्टूडेंट्स को किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। सवाल- JEE एड्वांस में कट-ऑफ से तो ज्यादा मार्क्स आए हैं लेकिन रैंक 30,000 प्लस है। क्या मुझे IIT मिल सकता है? जवाब- अगर आपकी रैंक 25,000 प्लस है तो आपको कहीं न कहीं ब्रांच के साथ कॉम्प्रोमाइज करना पड़ेगा। लास्ट ईयर IIT जम्मू में मैटीरियल इंजीनियरिंग ब्रांच के लिए SC कैटेगरी की फीमेल कैंडिडेट्स के लिए लास्ट राउंड की क्लोजिंग रैंक 25,000 थी। जनरल कैटेगरी के लिए 30,000 रैंक पर IIT मिलना मुश्किल है। पिछले सालों की बात करें तो नए IITs की आखिरी सीट 17 से 18 हजार रैंक पर भर जाती है। लेकिन SC, ST की बात करें तो नए IITs में 30 हजार रैंक पर सीट मिल सकती है। सवाल- अच्छे कॉलेज या अच्छी ब्रांच में से क्या चुनना चाहिए? जवाब- ये डिपेंड करता है कि अपने फ्यूचर को लेकर आपको अभी कितनी क्लैरिटी है। जैसे अगर आपको क्लियर है कि सिविल इंजीनियरिंग में जाकर आपको आगे सरकारी नौकरी करनी है या JE के लिए प्रिपेयर करना है तो आप सिविल इंजीनियरिंग चुन सकते हैं। आपको मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग चुनकर DRDO में जाना है या केमिकल इंजीनियरिंग चुनकर किसी PSU को जॉइन करना है? अगर आपको इतनी क्लैरिटी है तो आप ब्रांच को प्रेफरेंस दें। वहीं अगर आप एक्स्प्लोर करना चाहते हैं। आप क्लियर नहीं है कि आगे क्या करना है तो अभी अच्छा कॉलेज चुन लीजिए। कुछ कॉलेजों में अभी भी ब्रांच अपग्रेडेशन है तो बाद में आप वो कर सकते हैं। अच्छे कॉलेज में आपको बेहतर क्राउड मिलेगा जिससे समय के साथ आपको क्लैरिटी हो जाएगी कि करना क्या है। सवाल- लॉक, फ्लोट और स्लाइड- चॉइस सिलेक्शन के ये तीन ऑप्शन्स क्या हैं? जवाब- चॉइस फिलिंग में स्टूडेंट के पास तीन ऑप्शन्स होते हैं। इन्हें बहुत ध्यान से सिलेक्ट करें। पहला है लॉक- अगर आपको पहले ही राउंड में पसंद का कॉलेज और पसंद की ब्रांच मिल गई है तो आप सीधे इसे लॉक करें और काउंसलिंग से हट जाएं। दूसरा है फ्लोट- अगर आपको सेकेंड या थर्ड राउंड में बेहतर ब्रांच या बेहतर कॉलेज में एडमिशन मिल जाए तो आप दूसरे कॉलेज पर स्विच कर सकते हैं। तीसरा है स्लाइड- इस ऑप्शन को सिलेक्ट करने पर आपका कॉलेज वही रहेगा लेकिन अगर उसी कॉलेज में किसी दूसरी बेहतर दूसरी ब्रांच में सीट खाली है तो तो आप अपग्रेड कर सकेंगे। इन तीनों में से फ्लोट ऑप्शन बेहतर है क्योंकि इसमें आप कॉलेज या ब्रांच के मामले में बेहतर ऑप्शन मिलने पर स्विच कर सकते हैं। सवाल- आने वाले समय में बूम करने वाले सेक्टर्स कौन से हैं? क्या कॉलेज सिलेक्शन में इसका भी ध्यान रखना चाहिए? जवाब- ब्रांच चुनते समय स्टूडेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि चार साल बाद कौनसे सेक्टर्स बूम करेंगे और किस सेक्टर में नौकरी के ज्यादा से ज्यादा अवसर उन्हें मिल पाएंगे। वर्तमान की बात करें तो आने वाले सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के सेक्टर्स में मार्केट सबसे ज्यादा बूम करेगा। उस वक्त तक हर फील्ड में AI पहुंच चुका होगा और ऐसे में हर फील्ड में एक्सपर्ट्स की डिमांड रहेगी। इसके अलावा कंप्यूटर साइंस, डेटा स्ट्रक्चर, मैथमेटिकल कंप्यूटिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, केमिकल और सिविल में भी काफी स्कोप रहेगा। सवाल- IIT में जाने के बाद क्लासेज अटेंड करना कितना जरूरी है? जवाब- क्लासेज जरूर अटेंड करें क्योंकि अगर आपको पसंद की ब्रांच नहीं मिली है तो पहले सेमेस्टर में टॉप करके ही ब्रांच स्विच कर पाएंगे। इसके अलावा IITs में स्कूल और कोचिंग की तरह कोई टीचर अलग से नोट्स नहीं देगा। इसलिए जो क्लास में पढ़ाया जा रहा है उसके नोट्स अपनी भाषा में बनाकर रखें। एग्जाम में यही काम आएंगे। अगर आप प्लेसमेंट चाहते हैं तो क्लास अटेंड करना, कोर्स स्ट्रक्चर को अच्छी तरह पढ़ना बहुत जरूरी है। साथ ही रिसर्च में दिलचस्पी रखने वाले स्टूडेंट्स क्लास तो अटेंड करे ही बल्कि क्लास के बाद लैब में भी समय बिताएं। आप चाहे तो फर्स्ट ईयर से ही लैब एक्टिविटीज से जुड़ सकते हैं। सवाल- IITs में एक्स्ट्रा करिकुलर कितना जरूरी होता है? जवाब- कॉलेज में जाने के बाद एक्स्ट्रा करिकुलर बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि JEE की तैयारी के दौरान स्टूडेंट्स एक्स्ट्रा करिकुलर से दूर हो जाते हैं। सोशल मीडिया आदी से भी बहुत से स्टूडेंट्स दूरी बना लेते हैं। इस तरह तैयारी के समय स्टूडेंट्स आम जिंदगी से कट चुके होते हैं। इसलिए एक्स्ट्रा करिकुलर आपके पास सोशल होने का और एक्स्पोजर का अच्छा मौका है। इसलिए फर्स्ट ईयर में ही कॉलेज की सोसायटीज, क्ल्बस वगैराह से जुड़ें। सवाल- कुछ कहते हैं कि सीनीयर्स बहुत सपोर्टिव होते हैं। कुछ कहते हैं कि रैगिंग करते हैं। आखिर IITs का माहौल होता कैसा है? जवाब- IIT खड़गपुर की तरह कुछ कैंपस में सीनियर कल्चर बहुत अच्छा है लेकिन अपवाद हर जगह ही होते हैं। इसलिए कोशिश करें कि कैंपस में पहुंचने के बाद कम से कम 3 महीने तक किसी सीनियर से न उलझें। तीन महीने में आपको समझ आ जाएगा कि किससे किस तरह बात की जानी चाहिए। इसके अलावा लगभग हर कॉलेज कैंपस में एंटी रैगिंग सेल एक्टिव रहती है। अगर आपको कभी लगे कि आपकी रैगिंग की जा रही है तो आप यहां शिकायत कर सकते हैं। ऐसी ही और खबरें पढ़ें… रजत पाटीदार ने RCB को पहली बार चैंपियन बनाया: IPL के चलते कई बार शादी टाली, श्रेयस के चोटिल होने पर डेब्यू का मौका मिला IPL यानी इंडियन प्रीमियर लीग का खिताब पहली बार रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने अपने नाम किया है। इसमें मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले रजत पाटीदार ने टीम की कमान संभाली थी। IPL में रजत पहली बार किसी टीम की कप्तानी कर रहे थे और इस सीजन में उन्होंने अपनी टीम को 11 मैच जिताए हैं। पूरी खबर पढ़ें…
JoSAA काउंसलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन कराएं:लास्ट डेट का इंतजार न करें, ब्रांच और कॉलेज प्रेफरेंस ध्यान से भरें; क्या 30,000+ रैंक पर मिलेगा IIT?
