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महाराजा गंगा सिंह युनिवर्सिटी (एमजीएसयू) में बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बोम) की बैठक को लेकर कुलपति और श्रीडूंगरगढ़ विधायक के बीच विवाद गहरा गया है। विधायक ने कुलपति पर नियमों की अनदेखी कर बैठक आयोजित करने और घाटे का बजट जारी करने का आरोप लगाया है। मामला अब राज्यपाल और मुख्यमंत्री तक पहुंच गया है। 14 जून को आयोजित बोम की बैठक में सदस्य के रूप में उपस्थित श्रीडूंगरगढ़ विधायक ताराचंद सारस्वत ने बैठक की वैधता पर ही सवाल उठाए। उनका कहना है कि बोम में मनोनीत सदस्य का मनोनयन नहीं होने के कारण बैठक नहीं की जा सकती थी। विधायक की आपत्ति पर कुलपति मनोज दीक्षित ने शासन से स्वीकृति का हवाला दिया, लेकिन कोई आदेश प्रस्तुत नहीं किया। विवाद का मुख्य मुद्दा वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट है, जिसमें 15,591 लाख रुपए की आय के मुकाबले 17,936 लाख रुपए का खर्च दिखाया गया है। करीब दो हजार करोड़ रुपए के इस बजट पर विधायक ने आपत्ति जताई थी। उनका आरोप है कि कुलपति ने बैठक में बजट स्वीकृत न करने की सहमति जताई थी, लेकिन बाद में इसे स्वीकृत कर दिया गया। विधायक सारस्वत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर बजट को संशोधित करने और धन के दुरुपयोग को रोकने की मांग की है। उन्होंने कुलपति पर बिना अनुमति बैठक बुलाने और मना करने के बावजूद घाटे का बजट जारी करने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, कुलपति मनोज दीक्षित का कहना है कि बैठक नियमानुसार आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि विधायक ने बैठक के दौरान कोई लिखित आपत्ति दर्ज नहीं कराई। उन्होंने धन के दुरुपयोग के आरोपों को भी खारिज करते हुए कहा कि विधायक की शिकायत का जवाब सक्षम स्तर पर दिया जाएगा। इस विवाद ने विश्वविद्यालय प्रशासन और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विश्वविद्यालय के वित्तीय प्रबंधन और प्रशासनिक निर्णयों पर सवाल उठ रहे हैं।

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