हाई कोर्ट ने प्रदेश में सांसद व विधायकों के खिलाफ लंबित क्रिमिनल केसों की जल्द सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह निर्देश इन केसों के स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने इन केसों को लेकर संबंधित जिला एवं सैशन न्यायधीशों को कहा है कि वे इन केसों की सुनवाई जल्द करवाएं। वहीं राज्य सरकार को कहा है कि वह इन केसों के समन-वारंटो की तामील सुनिश्चित करें। अदालत ने महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद से कहा कि वे सुझाव दें कि इन केसों का जल्द निस्तारण कैसे हो सकता है। वकील अनावश्यक तारीख नहीं लें
अदालत ने अपने आदेश में इन केसों से जुड़े सरकारी वकीलों से कहा है कि वे इन केसों में अनवाश्यक तारीख नहीं लें। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रशासन ने रिपोर्ट पेश कर कहा कि प्रदेश में एमपी-एमएलए से जुड़े तीन दर्जन से ज्यादा केस हैं। रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी कि ये केस किस कोर्ट में और कब से पेंडिंग चल रहे हैं। अदालत ने राज्य सरकार को कहा कि इन केसों में यदि कोई तकनीकी सहयोग की जरूरत हो तो वह इसका भी ध्यान रखे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को दिए थे निर्देश
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में एमपी-एमएलए से जुड़े क्रिमिनल केसों के मामले में दिशा-निर्देश जारी कर हाईकोर्ट को इन केसों की निगरानी के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कहा था कि वे इन केसों के संबंध में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर इसे दर्ज करें और इन केसों में ट्रायल कर रहे जिला जज या स्पेशल कोर्ट की मॉनिटरिंग करें। हाईकोर्ट इन केसों में सुनवाई कर रही कोर्ट से समय-समय पर इन केसों की ट्रायल की रिपोर्ट मांगें और जरूरत हो तो इन केसों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाएं। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को भी कहा था कि वे जब तक अति आवश्यक नहीं हो तब तक इन केसों की ट्रायल नहीं टालेंगे। वहीं एक वेबसाइट भी बनाई जाए जिसमें कि यह ब्यौरा हो कि किस जिले में एमपी-एमएलए के खिलाफ कितने क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं और उनकी स्थिति क्या है।