शारदीय नवरात्रि दिन 5: मां स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा – आरोग्य और कृपा का राज
नवरात्रि का पांचवा दिन विशेष रूप से मां स्कंदमाता की पूजा के रूप में मनाया जाता है। मां स्कंदमाता (Skandamata) का नाम उनके पुत्र भगवान कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है, के माता के रूप में है। इस दिन की पूजा से हम आरोग्य और मां की कृपा को प्राप्त करते हैं। इस लेख में, हम आपको मां स्कंदमाता की महत्वपूर्ण कथा और पूजा विधि के बारे में जानकारी देंगे।
![Navratri Day 5: मां स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा - आरोग्य और कृपा का राज 2 शारदीय नवरात्रि दिन 5: मां स्कंदमाता की पूजा - आरोग्य और कृपा का राज](https://rajdailynews.in/wp-content/uploads/2023/10/Skandamata-300x169.webp)
मां स्कंदमाता (Skandamata) की कथा:
मां स्कंदमाता (Skandamata) की कथा बहुत ही प्रेरणादायक है। यह कथा कहती है कि एक समय परमात्मा ने अपने देवी स्वरूप को दुनिया में भेजा ताकि वह मानवों की सहायता कर सकें। मां स्कंदमाता (Skandamata) का जन्म हुआ था, और उन्होंने अपने पुत्र कार्तिकेय का पालन किया। वे अपने पुत्र के साथ एक भावुक मां के रूप में जानी जाती हैं, और उन्होंने अपने भक्तों की सुरक्षा के लिए शक्ति दिया।
मां स्कंदमाता (Skandamata) का नाम सुनते ही हमारे मन में उनकी छवि खड़ी हो जाती है। मां स्कंदमाता (Skandamata) को “स्कंद” यानि भगवान कार्तिकेय की मां कहा जाता है, क्योंकि वे उनकी मां हैं। मां स्कंदमाता की कथा अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें यह बताती है कि मां की कृपा से हमारा आरोग्य सुरक्षित रहता है।
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कथा के अनुसार, एक समय परम पूरुष शिव और पार्वती जी बेटे कार्तिकेय के साथ बैठे थे। एक दिन, कार्तिकेय ने मां पार्वती से पूछा, “मां, मैं किसके लिए अपनी आंखें मुँह बंद करके दबाता हूँ?” मां पार्वती ने हँसते हुए कहा, “बेटा, तुम अपने जीवन में सबकुछ कार्तिकेय के रूप में ही करते हो, तो तुम अपने माता-पिता को भी कार्तिकेय के रूप में ही देखते हो।”
कार्तिकेय के शब्दों से प्रभावित होकर मां पार्वती ने अपनी आंखें मुँह बंद करके भगवान कार्तिकेय की पूजा की। इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने “स्कंदमाता” नामकी देवी का रूप धारण किया। मां स्कंदमाता की मुद्रा आंखें मुँह बंद करके दिखाती है, जो हमें अपने माता-पिता के सदय आशीर्वाद की महत्वपूर्णता याद दिलाती है।
मां स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा विधि:
मां स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा को सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- पूजा का समय: मां स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा को सुबह के समय करें, जब आपका मन शुद्ध और शांत होता है।
- पूजा स्थल: पूजा के लिए एक शुद्ध स्थल चुनें और वहाँ पूजा की थाली तैयार करें।
- पूजा सामग्री: पूजा सामग्री में चावल, दूध, चांदन, कुमकुम, फूल, धूप, दीपक आदि शामिल करें।
- आरती: मां स्कंदमाता (Skandamata) की मूर्ति के सामने आरती उतारें और गाएं।
- मंत्र: “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
- प्रसाद: पूजा के बाद, प्रसाद को बांटें और खुद भी खाएं।
- व्रत और ध्यान: इस दिन व्रत रखें और मां स्कंदमाता (Skandamata) का ध्यान करें, उनकी कृपा और आरोग्य की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।
मां स्कंदमाता (Skandamata) के प्रति श्रद्धा:
मां स्कंदमाता (Skandamata) को भगवान कार्तिकेय की मां माना जाता है, जिन्होंने शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। उन्होंने अपने पुत्र कार्तिकेय की पालन की और उन्होंने देवों के साथ दानवों के खिलवाड़ में भाग लिया।
मां स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा करने से हम अपने जीवन में स्वास्थ्य और आरोग्य की बढ़ोतरी करते हैं। वे हमें आरोग्य, शक्ति, और सुरक्षा की बढ़ोतरी करने में सहायक होती हैं। इस दिन की पूजा से हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है और हम संघर्षों को पार करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि के महत्व:
नवरात्रि के दिन भगवान दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है, और हर दिन की पूजा विशेष फल देती है। मां स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा से आप आरोग्य और कृपा की बेहतरीन बर्ताव करते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति का अनुभव करते हैं।
नवरात्रि के इन पांच दिनों में हम देवी दुर्गा की आराधना करके अपने जीवन को धार्मिकता, साहस, और उत्तराधिकार की दिशा में अग्रसर करते हैं।
समापन शब्द:
मां स्कंदमाता (Skandamata) की पूजा नवरात्रि के पांचवे दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह हमारे जीवन में स्वास्थ्य और सुरक्षा की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन को ध्यान, पूजा, और भक्ति के साथ बिताने से हम अपने मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं और मां स्कंदमाता की कृपा का अनुभव करते हैं। इस नवरात्रि, हम सभी को स्वास्थ्य, सुख, और शांति की कामना करते हैं।