मां कात्यायनी के पूजन से मिलती हैं आनंद और शांति की आशीर्वाद
शारदीय नवरात्रि (Navratri) का महत्व
नवरात्रि (Navratri) का त्योहार हिन्दू धर्म में बड़ा महत्वपूर्ण है। यह आध्यात्मिक त्योहार है जो मां दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है और नौ दिनों तक चलता है। इस त्योहार के दौरान, नौ विभिन्न रूपों में मां दुर्गा की पूजा की जाती है, और इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है मां कात्यायनी की पूजा।

नवरात्रि के छठे दिन का महत्व
नवरात्रि (Navratri) के छठे दिन को ‘षड़ाक्षरी माता’ के नाम से जाना जाता है, और इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी, मां दुर्गा के एक रूप हैं, और उन्हें विद्या, विद्या, और धर्म की देवी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन की पूजा करने से मां कात्यायनी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, संतोष, और सफलता की प्राप्ति होती है।
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यधिक प्रेम और शक्ति के साथ होता है। वे चारों हाथों में अक्षमाला और खडग धारण करती हैं, और उनका वाहन सिंह होता है। मां कात्यायनी का रूप अत्यधिक सुंदर होता है, और वे अपने भक्तों को दुखों से मुक्ति दिलाने वाली मां मानी जाती हैं। (Navratri)

मां कात्यायनी की कथा
मां कात्यायनी की कथा हमें मां दुर्गा के सम्पूर्ण कथा संग्रह में मिलती है। कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब दैत्य राजा महिषासुर नामक दैत्य दुनिया को अपने अत्याचारों से बेहाल कर दिया था। उसकी शक्ति और अक्ड़ने ने देवताओं को भी चिंतित कर दिया था।
देवताओं ने मां पार्वती से सहायता मांगी, और मां पार्वती ने व्रत रखकर मां कात्यायनी की पूजा की थी। मां कात्यायनी ने इस पूजा के माध्यम से महिषासुर का वध किया और दुनिया को उनकी अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।
व्रत और पूजा का महत्व
मां कात्यायनी की पूजा को करने से भक्तों को जीवन में सुख, संतोष, और सफलता की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्त उष्ण कला या रात्रि कला में मां कात्यायनी की पूजा करते हैं। वे अपनी आराधना में ध्यान, मन्त्रजाप, और भजन-कीर्तन करते हैं, और मां कात्यायनी के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं।
कई लोग इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराकर आपसी भाईचारा बढ़ाते हैं, और इसके माध्यम से दान-पुण्य करते हैं। यह एक मां कात्यायनी की पूजा के महत्वपूर्ण हिस्सा है और दान-पुण्य का सबसे अच्छा तरीका होता है।
व्रत के नियम
मां कात्यायनी की पूजा के व्रत को निष्कलंक भाव से रखना चाहिए। (Navratri) इसके लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करें:
- व्रत रखने के दिन भोजन में नृत्य, गाना, और विनोद से परहेज करें।
- दिनभर मां कात्यायनी की पूजा में ध्यान और मन्त्रजाप करें।
- भक्तों को दूसरों की मदद करने, गरीबों को भोजन कराने, और दान-पुण्य करने का प्रयास करना चाहिए।
- व्रत के समय पूजा के लिए मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर रहना चाहिए।
- भक्त अगले दिन सूचना नहीं खाते हैं और सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
मां कात्यायनी की पूजा के महत्व
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह पूजा भक्तों को मां कात्यायनी के आशीर्वाद की प्राप्ति करने का मौका देती है। मां कात्यायनी के आशीर्वाद से भक्तों के जीवन में सुख, संतोष, और सफलता की प्राप्ति होती है।