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जोधपुर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक इंस्पेक्टर सहित तीन कार्मिकों पर एक मार्बल कारोबारी को एनडीपीएस एक्ट के केस में फंसाने की धमकी देकर 30 लाख रुपए की वसूली के आरोपों से जुड़े मामले की जांच अब सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है। राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा के आदेश पर सीबीआई ने इस संबंध में एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली की अध्यक्षता वाली समन्वय पीठ ने गत 10 मई 2024 को आदेश दिया था कि राजस्थान पुलिस और केंद्रीय एजेंसी एनसीबी के बीच टकराव की इस स्थिति में मामले की जांच तीसरी एजेंसी के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के निर्देशन में जांच टीम बनाकर इन्वेस्टिगेशन कराना उचित रहेगा। तब, कोर्ट ने पुलिस की थाना स्तर पर चल रही जांच पर रोक लगाते हुए पत्रावली पीएचक्यू भेजने का आदेश भी दिया था। उसके बाद हुई सुनवाई में कोर्ट ने आदेश की पालना नहीं होने पर पुलिस को फटकार लगाते हुए डीजीपी को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का आदेश दिया था। इसी मामले में गत 26 जुलाई 2024 को जस्टिस अरुण मोंगा ने सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस और एनसीबी के बीच टकराव है, इसी वजह से निष्पक्ष जांच के लिए यह केस सीबीआई को सौंपना उचित रहेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों की शिकायतों को प्रारंभिक जांच के लिए जोधपुर सीबीआई को भेज दिया। सीबीआई की प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया कि एनसीबी ने तो इस मामले में कोई एफआईआर ही दर्ज नहीं की थी। एनसीबी के अफसरों के खिलाफ साक्ष्य भी मिले। अब सीबीआई ने तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसकी जांच स्वयं सीबीआई एसपी सुभाष चंद्र कुंडू कर रहे हैं।

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