NEET PG परीक्षा इस साल 3 अगस्त को एक शिफ्ट आयोजित की जाएगी। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन यानी (NBE) ने सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा की डेट 15 जून से आगे बढ़ाकर 3 अगस्त करने की इजाजत मांगी थी। कोर्ट ने NBE की मांग स्वीकार कर ली है। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मामले की सुनवाई की। बेंच ने स्पष्ट किया कि NBE को एग्जाम डेट के लिए और कोई एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा। यानी परीक्षा की डेट दोबारा स्थगित नहीं की जा सकती। 15 जून को होना था NEET PG एग्जाम एग्जाम 15 जून के लिए शेड्यूल्ड था जिसके लिए एडमिट कार्ड 11 जून को जारी होने थे। मगर 2 जून की देर शाम वेबसाइट पर एग्जाम पोस्टपोन करने का नोटिस जारी हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- समय ले सकते हैं दरअसल, 30 मई को सुप्रीम कोर्ट ने NBE को निर्देश दिया था कि परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाए। इसके लिए जरूरी हो तो एग्जाम सेंटर्स की गिनती बढ़ाई जा सकती है। कोर्ट ने कहा था कि अभी परीक्षा में 2 सप्ताह का समय है जो तैयारियों के लिए पर्याप्त है। फिर भी अगर और समय की जरूरत हो तो बोर्ड इसके लिए आवेदन कर सकता है। छात्रों ने 2 शिफ्ट में परीक्षा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि 2 शिफ्ट में एग्जाम से क्वेश्चन पेपर के डिफिकल्टी लेवल में फर्क होता है, जो फेयर इवैल्युएशन नहीं है। परीक्षा में हासिल किए गए नंबर्स में भी फर्क आ जाता है। 22 मई को कोर्ट ने जारी किए थे ट्रांसपेरेंसी के निर्देश एग्जाम में ट्रांसपेरेंसी की मांग वाली याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को सुनवाई की थी। इस सुनवाई में सभी प्राइवेट और डीम्ड मेडिकल यूनिवर्सिटीज को अपनी फीस डिटेल्स जारी करने का निर्देश दिया था। नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ कोर्ट गए स्टूडेंट्स NEET PG 2024 परीक्षा के एस्पिरेंट्स ने सितंबर 2024 में परीक्षा में पारदर्शिता के लिए याचिकाएं दायर की थीं। स्टूडेंट्स की मांग थी कि परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी NBEMS एग्जाम के क्वेश्चन पेपर और स्टूडेंट्स की आंसर की भी जारी करे। इससे कैंडिडेट्स को अपने रिजल्ट का सही आकलन करने और बेहतर तैयारी करने में मदद होगी। स्टूडेंट्स की दूसरी मांग थी कि एग्जाम एक ही शिफ्ट में हो। दो शिफ्ट में एग्जाम होने से रिजल्ट नॉर्मलाइजेशन के बाद जारी होता है जो कि फेयर नहीं है। आखिर क्या है नॉर्मलाइजेशन कई बार जब किसी एग्जाम के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या ज्यादा हो जाती है तो एग्जाम कई शिफ्टों में आयोजित कराया जाता है। कई बार एग्जाम कई दिन तक चलता है। ऐसे में हर शिफ्ट में क्वेश्चन पेपर का अलग सेट स्टूडेंट्स को दिया जाता है। ऐसे में किसी स्टूडेंट को मुश्किल और किसी स्टूडेंट को आसान क्वेश्चन पेपर मिलता है। यहां सवाल उठता है कि आसान और मुश्किल कैसे तय किया जाता है। इसे ऐसे समझते हैं… किसी एग्जाम में क्वेश्चन पेपर के तीन सेट- A, B, C बांटे गए। इसमें अलग-अलग सेट सॉल्व करने वाले स्टूडेंट्स का एवरेज स्कोर कैलकुलेट किया जाएगा। मान लीजिए सेट A सॉल्व करने वाले कैंडिडेट्स का एवरेज स्कोर 70 मार्क्स है। सेट B वालों का स्कोर 75 मार्क्स है और सेट C सॉल्व करने वालों का एवरेज स्कोर 80 मार्क्स है। ऐसे में सेट C सबसे आसान और सेट A सबसे मुश्किल माना जाएगा। आसान सेट वाले कैंडिडेट्स काे नॉर्मलाइजेशन के चलते कुछ मार्क्स गंवाने पड़ेंगे और मुश्किल सेट वालों को एक्स्ट्रा मार्क्स मिलेंगे। इसके अलावा स्टूडेंट्स ने 2 शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने का भी विरोध किया है। स्टूडेंट्स का कहना है कि एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा होने से क्वेश्चन पेपर का डिफिकल्टी लेवल अलग-अलग होता है। इससे फेयर इवैल्युएशन नहीं हो पाता है। 52,000 सीटों के लिए परीक्षा देश भर में लगभग 52,000 पोस्ट ग्रेजुएशन सीटों के लिए हर साल लगभग दो लाख MBBS ग्रेजुएट NEET PG देते हैं। पिछले साल पहली बार NEET PG एक शिफ्ट फॉर्मेट के बजाय दो शिफ्ट में आयोजित किया गया था। 11 अगस्त को पहली शिफ्ट सुबह 9 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक और दूसरी शिफ्ट दोपहर 3:30 बजे से शाम 7 बजे तक हुई थी। ——————- ये खबरें भी पढ़ें… JoSAA काउंसलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन कराएं: लास्ट डेट का इंतजार न करें, ब्रांच और कॉलेज प्रेफरेंस ध्यान से भरें; क्या 30,000+ रैंक पर मिलेगा IIT? JEE एड्वांस का रिजल्ट जारी हो चुका है। अब कैंडिडेट्स JoSAA की काउंसलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। ऐसे में हमने एक्सपर्ट्स से जाना कि काउंसलिंग के दौरान स्टूडेंट्स को किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें…