युवक अपने पिता की तरह पुलिसकर्मी बनना चाहता था। फिर RAS की भी तैयारी की, लेकिन न पुलिस में चयन हुआ और न प्रशासनिक सेवा में जा सका। तीन बार में भी सफलता नहीं मिली तो युवक ने खेती का रास्ता अपनाया। एक क्षेत्र में असफल होने के बाद वह युवक बागवानी और नर्सरी के क्षेत्र में सफल रहा। शुरुआती मेहनत के बाद अब वह अपने गांव में ही 40 लाख रुपए सालाना इनकम कर रहा है। इलाके की महिलाओं को जॉब भी दे रहा है। उसका लक्ष्य 2026 तक देशभर के किसानों को फ्रूट की बेहतरीन पौध उपलब्ध कराना है। म्हारे देस की खेती में आज बात बहरोड़ के युवा किसान नवीन कुमार यादव की… बहरोड़ पंचायत समिति बुढ़वाल के रहने वाले नवीन कुमार ने खेती में अपने नवाचार से सरकार का ध्यान भी आकर्षित किया है। नवीन ने 2 बीघा के बगीचे में मौसमी, संतरा और अमरूद के बाग लगाए हैं। इसके अलावा एक बीघा में नर्सरी लगा रखी है। नर्सरी में वे गांव की 7 महिलाओं को जॉब दे रहे हैं। नवीन ने बताया कि मेरे पिता अभय सिंह अरुणाचल पुलिस में एसआई हैं। पिता की तरह पुलिस में जाना चाहता था। पढ़ाई में ठीक था। राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद सब इंस्पेक्टर की परीक्षा दी, लेकिन असफल रहा। इसके बाद 2021 में आरएएस का एग्जाम दिया। वहां भी सफलता नहीं मिली। लगातार 3 कॉम्पिटिशन में कामयाब न होने के बाद मैंने खेती करने का निश्चय किया। मां से सीखा प्लांटेशन, केयर करता था मेरी मां किरण देवी घर पर प्लांटेशन करती थीं। मुझे बचपन से ही पौधों की केयरिंग करने का शौक था। जब पिता की राह पर जाना संभव नहीं हो सका तो मां से सीखे बागवानी के गुर आजमाने का विचार आया। अब मैं और मेरे बड़े भाई कपिल मिलकर बागवानी संभाल रहे हैं। बागवानी और नर्सरी के काम में सफलता मिल रही है। बागवानी से सालाना कमाई 10 लाख और नर्सरी से 30 लाख करीब है। अमरुद से सालाना 2 लाख, संतरा से 2.25 लाख और मौसमी से 4 लाख रुपए की कमाई है। मिट्टी-पानी की लैब में जांच कराई नवीन ने बताया- साल 2020 में बगीचा लगाने से पहले खेत की मिट्टी की जांच कराई। मिट्टी की उर्वरता, पानी के टेस्ट में साफ हुआ कि मिट्टी-पानी बागवानी खेती के लिए उपयुक्त है। इसके बाद 2 बीघा जमीन में 350 पौधे न्यू शेलर वैरायटी की मौसमी के, 150 पौधे नागपुरी संतरा के और 100 पेड़ हिसार सफेदा वैरायटी के अमरूद लगाए। साथ ही बहरोड के कुंड रोड पर 1 बीघा में नर्सरी लगाई। जहां कई वैरायटी के फल, फूल, सजावटी पौधे तैयार कर रहे हैं। नवीन ने बताया कि एक्सपेरिमेंट के लिए सेब के तीन प्लांट लगाए थे। इसमें सफल रहा तो 2023 में 70 पौधे लगाए। इसके अलावा अनार के 20, आडू के 20, अंगूर के 20 और आलू बुखारा के 20 पौधे लगाए हैं। नवीन ने बताया कि बड़े भाई कपिल यादव (33) बाहर से पौधों की खरीद करते हैं और तैयार फल की सप्लाई संभालते हैं। मौसमी को दिल्ली के आजादपुर मंडी में बेचा जाता है। जबकि संतरा और अमरूद बहरोड-कोटपूतली, नीमराना और आसपास क्षेत्र की लोकल मंडी में खप जाता है। राजस्थान यूनिवर्सिटी से जियोग्राफी और पॉलिटिकल में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले नवीन ने बागवानी-नर्सरी का काम संभालने के साथ एग्रीकल्चर और हार्टिकल्चर की शिक्षा भी ली। उन्होंने कई सर्टिफिकेट कोर्स किए। इनमें इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉर्टिकल्चर बेंगलुरु, नेशनल रिसर्च सेंटर लिची मुजफ्फरपुर (बिहार), केंद्रीय शुष्क क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान जोधपुर, इंडो इजरायल प्रोजेक्ट लाडवा हरियाणा, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना (पंजाब), कृषि विज्ञान केन्द्र बानसूर (अलवर) से सर्टिफिकेट हासिल किए। इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (कृषि भवन) ले रहा सहयोग बागवानी में किसान नवीन कुमार ने चार साल में ही मुकाम हासिल कर लिया है। वे इंडियन कौंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) से प्लांट मैटीरियल जुटाकर बाकी किसानों को उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा आईसीएआर के संस्थानों को पौधों की सप्लाई भी करते हैं। बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए वे ऑफलाइन के साथ-साथ प्लांट मैटेरियल की ऑनलाइन डिमांड भी पूरी करते हैं। देशभर के किसानों को वे लगभग सभी तरह के फ्रूट प्लांट की आपूर्ति करा रहे हैं। 2026 का मिशन- बेहतरीन फ्रूट प्लांट मैटेरियल उपलब्ध कराना नवीन ने बताया- देश के किसानों को बेहतर क्वालिटी का प्लांट मैटेरियल नहीं मिल रहा है। भारत सरकार के सामने रोग मुक्त प्लांट और जैनुअल प्लांटिंग मैटेरियल की समस्या आ रही है। इसे दूर करने के लिए नर्सरी के क्षेत्र में पीएम नरेंद्र मोदी ने 2-3 योजनाएं भी चलाई हैं। इनके जरिए नर्सरियों को डेवलप किया जा रहा है। साल 2026 का मिशन यही है कि अच्छा प्लांटिंग मैटेरियल तैयार करें और किसानों को उपलब्ध कराएं। फलों की अलग-अलग वैरायटी पर कर रहे काम नवीन ने बताया- मेरे पास फलदार पौधों की बड़ी लिस्ट है। इनमें भी कई तरह की वैरायटियों के पौधे डवलप किए हैं। मौसमी की वैरायटी पर काम कर रहा हूं। नींबू की 7 वैरायटी पर काम चल रहा है।अनार की सुपर भगवा, चीकू की काला पत्ती और क्रिकेट बॉल, आम की केसर, आम्रपाली, अरुणिका, अंबालिका की वैरायटी, बील की लखनऊ वैराइटी, अंगूर की मांजरी और नवीन मेडिका पर प्रयोग कर रहे हैं। ड्रैगन फ्रूट को बड़े स्तर पर राजस्थान में तैयार करने का प्लान नवीन ने बताया- वियतनाम के खास फल ड्रैगन फ्रूट को पीएम मोदी ने गुजरात में प्रमोट किया। इसे कमलम नाम से जाना गया। भारत में आने के बाद इस कैक्टस प्रजाति के फल को राजस्थान की जलवायु में ट्राई किया। ड्रैगन फ्रूट के लिए ढाई हजार पिलर लगाए हैं और 7 वैराइटी के ड्रैगन फ्रूट प्लांट तैयार कर रहे हैं। इनमें शीर, जम्बो, रेड, पिंक पर्ल, इजराइली, यलो, फ्लोरा और गोल्ड ताइवान शामिल हैं। इसके अलावा सेब के 70 प्लांट से कुछ नई वैरायटी भविष्य में रिलीज करने का प्लान है। सेब की हरिमन, अन्ना, गोल्डन और वाम्बुगू वैरायटी पर काम चल रहा है। इसके अलावा इमली की लक्ष्मणा वैरायटी, सीताफल की गोल्डन, चेयरी की बारबडोस और सूरीना को भी तैयार किया जा रहा है। नर्सरी में अनेक वैरायटी के पौधे विकसित करने का उद्देश्य किसान नवीन ने बताया- वर्तमान में खेती बिजनेस का रूप ले चुका है। भविष्य में फलों की वैरायटी की मांग रहेगी। इसके लिए अभी से काम कर रहा हूं। राजस्थान में किसान कुछ इनोवेटिव करना चाह रहे हैं। उन्हें मेरी सलाह है कि परंपरागत खेती के साथ खेत के एक हिस्से में बगीचा तैयार करें। यह भविष्य में आमदनी तय करेगा। शुरुआत मौसमी, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट और अंगूर से की जा सकती है। अभी मांग के अनुरूप बेहतरीन क्वालिटी के पौधे नहीं मिल रहे हैं। मेरा मकसद ऐसे फ्रूट प्लांट तैयार करना है जो राजस्थान की जलवायु में पनप जाएं। इसमें सफलता मिल रही है। यह भी पढ़ें राजस्थान में सफेद चंदन, किसान होंगे मालामाल:2 लाख रुपए लीटर तक बिकता है तेल, पेड़ कब होगा तैयार इस पर चल रही रिसर्च दक्षिण भारत में होने वाले सफेद चंदन की पौध अब राजस्थान में भी लगाई जा रही है। यह कीमती पेड़ अपनी सुगंध के लिए प्रसिद्ध है। इससे मूर्तियां, इत्र, दवा, ब्यूटी प्रोडक्ट समेत कई उत्पाद बनाए जाते हैं। जोधपुर शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) के वैज्ञानिक सफेद चंदन को लेकर रिसर्च कर रहे हैं। (पढ़ें पूरी खबर)