कहते हैं कि किसी भी बड़े और अनोखे काम के लिए एक प्रगतिशील सोच की जरूरत होती है। संस्कृति विश्वविद्यालय की स्थापना के संदर्भ में यह बात बिल्कुल सही साबित होती है। जब देश के बड़े-बड़े शहरों में एक के बाद एक आधुनिक विषयों को लेकर शिक्षण संस्थाएं खड़ी हो रही थीं, उसी दौर में दिल्ली के एक युवक के मन में भारत के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा और उनके उन्नयन को लेकर विचारों का भंवर उठ रहा था।
सवाल यह था कि आखिर हमारे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों, जिनकी संख्या भारत के शहरी क्षेत्र में रहने वाले बच्चों से कई गुना ज्यादा है, उनका विकास बिना एक अच्छी शिक्षा के कैसे पूरा होगा ? प्रतिभा के धनी इन बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय परिवर्तन की दौड़ में कैसे शामिल किया जाए? कैसे ये बच्चे अपनी नैसर्गिक प्रतिभा का लोहा विभिन्न क्षेत्रों में सारे विश्व से मनवा सकें ?
इन्हीं सवालों के उत्तर ने जन्म दिया है संस्कृति विश्वविद्यालय की स्थापना की सोच को। अब बड़ा सवाल यह था कि यह विश्वविद्यालय कहां स्थापित किया जाए ? सवाल के साथ ही एक अच्छे विचार ने जन्म लिया कि भारत की प्राचीन परंपराओं और सर्वग्राही संस्कृति को सारे विश्व को जानना चाहिए और ये काम हमारे देश के बच्चे ही राजदूत बनकर कर सकते हैं।
ऐसे में विचार आया कि इसके लिए ब्रज भूमि से अच्छी जगह कौन सी हो सकती है। कृष्ण जो सारे विश्व में जाने जाते हैं और जिन्होंने सारे विश्व को प्रेम का पाठ पढ़ाया, उनकी जन्मस्थली ही उपयुक्त स्थान हो सकता है।
यहां शिक्षा का ऐसा केंद्र हो जहां से पढ़ने वाले बच्चे न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा ग्रहण करें वरन हमारी लब्ध प्रतिष्ठित संस्कृति के संवाहक बनें।
भारत के उत्कृष्ट उच्च शिक्षा केंद्रों में से एक है संस्कृति विवि :
संस्कृति विश्वविद्यालय कुछ ही समय में भारत के कुछ सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के साथ-साथ एक वर्ष में अधिकतम पेटेंट दाखिल करने वाला 7वां सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय बन गया। यह सम्मान किसी और ने नहीं बल्कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार ने दिया है।
संस्कृति विश्वविद्यालय की यात्रा 2016 में शुरू हुई जो इसे एक बहुत ही युवा विश्वविद्यालय बनाती है। इसके साथ ही हम अपने यहां 70 विभिन्न कार्यक्रमों को अंजाम देने वाले 15 स्कूलों को जिनमें लगभग 9000 से अधिक विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं और आगे ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विवि अपने लक्ष्य “वाक्य जीवन में उत्कृष्टता” के लिए निरंतर इनोवेशन और रिसर्च के क्षेत्र में काम कर रहा है। यही वजह है कि हमारा विवि कुछ ही समय में भारत के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में और एक वर्ष में अधिकतम पेटेंट दाखिल करने वाला पहला विवि बन गया।
नवोन्मेष उपलब्धि पर संस्थानों की अटल रैंकिंग एआरआईआईए द्वारा हमें 30वां बैंड परफॉर्मर भी दिया गया। हम शिक्षा, बुनियादी ढांचे, आतिथ्य और पर्यटन, प्रबंधन, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शीर्ष 5 में रहे हैं। इंडिया टुडे, आउटलुक, इंडिया टुडे एस्पायर और हिंदुस्तान शिक्षा शिखर सम्मान जैसे भारत के कुछ शीर्ष मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा शिक्षा क्षेत्र के विभिन्न विभागों में विवि को सम्मानित किया जा चुका है।
विवि में एमएसएमई के सहयोग से तीन उत्कृष्टता केंद्र :
विश्वविद्यालय में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन उत्कृष्टता केंद्र, सीएनसी मशीन उत्कृष्टता केंद्र, पारिस्थितिक खेती में उत्कृष्टता केंद्र संचालित हैं। एमएसएमई ने हमें संस्कृति विश्वविद्यालय में एक उन्नत और अच्छी तरह से सुसज्जित ऊष्मायन केंद्र स्थापित करने में भी मदद की है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है।
इतना ही नहीं विवि के पास आज 10 स्टार्टअप सफलतापूर्वक चल रहे हैं। संस्कृति विवि ने अपने छात्रों को वैश्विक अनुभव प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता के लिए 40 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ-साथ 50 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों और औद्योगिक संस्थानों के साथ करार किया है।
विवि में संचालित सभी स्कूलों में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा और छात्रों द्वारा लाइव शोध परियोजनाएं इस विश्वविद्यालय की ताकत है। पर्यावरण के अनुकूल बांस चक्र, सौर दीया, गोबर लॉग मशीन, इलेक्ट्रिक वाहन, एंटीमिसाइल और निगरानी रोबोट, दो अक्ष रोबोट और सर्विस रोबोट हमारे छात्रों द्वारा पूरी की गई कुछ नवीन परियोजनाएं हैं।
कलात्मक मूल्यों को विकसित करने के लिए विश्वविद्यालय ने उन्नत ध्वनि प्रणाली और प्रकाश सुविधाओं से सुसज्जित 500 सीटों वाला सभागार प्रदान किया है। छात्रों के समग्र स्वास्थ्य के लिए विश्वविद्यालय ने परिसर में एक विश्व स्तरीय खेल स्टेडियम की स्थापना की है।
इसके अलावा विश्वविद्यालय ने आसपास के 300 गोद लिए गए गांवों की सेवा के लिए स्वतंत्र रूप से एफएम समुदाय रेडियो (एफएम) का प्रबंधन किया है।
‘जीवन में उत्कृष्टता के लिए’ विश्वविद्यालय के वादे को पूरा करने वाले कृष्ण चेतना केंद्र की स्थापना की है, जिसका उद्घाटन तत्कालीन शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल द्वारा किया गया। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आयुर्वेद के पंचकर्म और कायाकल्प विज्ञान पर आधारित ‘संस्कृति वेलनेस सेंटर‘ शुरू करके स्वास्थ्य कल्याण के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है।
संस्कृति विवि ने 2500 से अधिक पेटेंट दर्ज कराकर हासिल की नई उपलब्धि :
संस्कृति विश्वविद्यालय ने 2500 से अधिक पेटेंट दाखिल कर नई उपलब्धि हासिल की है। ये पेटेंट टेक्निकल, इंजीनिरिंग और फार्मेसी विषय से जुड़े हैं। उच्च शिक्षा में नवाचार और शोध के क्षेत्र में भारत को विश्व के चुनिंदा देश के मध्य स्थान दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने में विवि के द्वारा किया जाने वाला यह बड़ा योगदान है। विश्वविद्यालय भारत की विकासशील अर्थव्यवस्था को विकसित अर्थ व्यवस्था में परिवर्तित करने के क्रम में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में अपने योगदान के लिए प्रतिबद्ध है।
बताते चलें कि संस्कृति विवि द्वारा अपने स्थापना काल से ही शोध और नवाचार के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया है। नवीन सत्र में ऩई शिक्षा नीति के तहत अपने शैक्षणिक कार्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन कर विद्यार्थियों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के स्तर पर खरा होने के लिए तैयार कर रहा है।
गत वर्ष से सारा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इस दौर में शिक्षण कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और आज भी इससे प्रभावित है। संस्कृति विवि ने इस समय को चुनौती के रूप में स्वीकार कर सभी आवश्यक ठोस कदम समय से उठाए हैं, जिसके उत्साहजनक परिणाम भी सामने आए हैं। इस सजगता और कठिन संघर्ष के परिणामस्वरूप विवि द्वारा कोरोना से जूझते 211 पेटेंट दर्ज कराए, जो एक बड़ी उपलब्धि के रूप में सराहे जा रहे हैं।
संस्कृति विवि के एक्जीक्यूटिव डाइरेक्टर पीसी छाबड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि संस्कृति विवि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश के सबसे तेजी से आगे बढ़ते विवि के रूप में उभर रहा है। शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में कोविड -19 के वैश्वविक महामारी काल में विवि ने 211 पेटेंट दर्ज किए। अपनी स्थापना वर्ष 2016 से अब तक विवि 2500 पेटेंट दर्ज करा चुका है।
युवा शोधकर्ता और विवि के संकाय सदस्यों के लगातार किए गए श्रम के परिणाम के रूप में यह उपलब्धि हासिल हुई है। संस्कृति विवि का लक्ष्य विवि को विश्व के चुनिंदा 100 विवि में अपना नाम दर्ज कराने का है। इसी क्रम में एक टीम भावना के तहत शिक्षण, शोध और नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़कर काम किया जा रहा है।
चांसलर सचिन गुप्ता के सक्रिय और दूरदर्शी नेतृत्व में विवि तकनीकी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अनुसंधान और नवाचार के लिए प्रतिबद्ध है। वे लगातार चिकित्सकों, युवा शोधकर्ताओं के साथ-साथ विवि के अनुसंधान में रुचि रखने वाले संकाय सदस्यों को प्रोत्साहित और प्रेरित कर रहे हैं जिन्होंने संस्कृति विवि को नवाचार और अनुसंधान के लक्ष्य को हासिल करने में योगदान दिया है।
चांसलर श्री गुप्ता का मानना है कि शिक्षा के विविध क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने से देश को एशिया के अनुसंधान और नवाचार केंद्र के रूप में विकसित होने और दुनिया को नए ज्ञान और विचारों के भंडार के रूप में कार्य करने में मदद मिलेगी।
ईडी छाबड़ा ने बताया कि इस गतिशील दुनिया में शिक्षाविदों के अलावा अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में किसी विश्वविद्यालय की भूमिका और योगदान देश के विकास और स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है।
संस्कृति विवि ने नवाचार और अनुसंधान के मिशन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सहयोग और समझौते किए हैं। इन समझौतों के द्वारा संस्कृति विवि विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि के साथ-साथ उनको नवाचार के लिए प्रेरणा मिलती है। विवि ने डीआरडीओ और एसएमई व अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों, विश्वविद्यालयों से सहयोग और समझौते किए हैं।
विश्वविद्यालय के अनुसंधान दल द्वारा इन उल्लेखनीय पेटेंटों के साथ, विवि के शोधकर्ता उत्साहित हैं और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर अगले स्तर के रिकार्ड बनाने के लिए लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
इस विशेष उपलब्धि पर चांसलर सचिन गुप्ता ने शोधकर्ताओं की पूरी टीम को बधाई दी और संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और अनुसंधान विद्वानों से उनकी अपेक्षाओं को साझा किया।
उन्होंने संकाय सदस्यों के ईमानदार अनुसंधान प्रयासों की सराहना की और उन्हें एआरआईआईए रैंकिंग में भारत के शीर्ष कुछ विश्वविद्यालयों के मध्य संस्कृति विवि की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए अनुसंधान, नवाचार, प्रकाशन, पेटेंट और व्यावसायिकरण की अपनी गति को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विवि अपने लक्ष्य की ओर लगातार आप सबके सम्मिलित प्रयासों से आगे बढ़ रहा है। आपके प्रयासों से मिली सफलता विश्वविद्यालय की निधि है।