सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने बुधवार (18 जून) को हुई अपनी बोर्ड मीटिंग में कई बड़े फैसले लिए हैं। इस मीटिंग में स्टार्टअप्स, पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSU), विदेशी निवेश (FPI) और पुराने NSEL मामले जैसे कई मुद्दों पर अहम घोषणाएं की गईं। सेबी के चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की थी। सेबी का चेयरमैन बनने के बाद यह उनकी दूसरी बोर्ड मीटिंग थी। SEBI की बोर्ड मीटिंग के बड़े फैसले… 1. स्टार्टअप्स के लिए ESOP में राहत सेबी ने स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा ऐलान किया। अब स्टार्टअप्स के फाउंडर्स और कर्मचारी अपनी कंपनी के IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफर) के बाद भी अपने ESOP (एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन) को रख सकेंगे। पहले ये नियम सख्त थे, लेकिन अब इस छूट से स्टार्टअप्स को टैलेंट को आकर्षित करने और रखने में मदद मिलेगी। हालांकि, दुरुपयोग रोकने के लिए IPO से पहले एक साल का वेटिंग पीरियड रखा गया है। 2. PSU डीलिस्टिंग के नियम आसान
पब्लिक सेक्टर की कंपनियों (PSU) के लिए डीलिस्टिंग (यानी स्टॉक मार्केट से हटने) के नियमों में ढील दी गई है। खासकर उन PSU के लिए, जिनमें सरकार की हिस्सेदारी 90% या उससे ज्यादा है। सेबी ने इसके लिए एक खास फ्रेमवर्क तैयार किया है, जिससे सरकार को ऐसी कंपनियों को डीलिस्ट करना आसान हो जाएगा। 3. विदेशी निवेशकों के लिए सरल नियम सेबी ने फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए भी बड़ा कदम उठाया है। वो यह है कि जो FPI सिर्फ भारतीय सरकारी बॉन्ड्स (IGB) में निवेश करते हैं, उनके लिए रजिस्ट्रेशन और कंप्लायंस के नियम आसान कर दिए गए हैं। इसके लिए एक नई FPI कैटेगरी बनाई गई है, जिसे IGB-FPI कहा जाएगा। इससे विदेशी निवेशकों को भारत के बॉन्ड मार्केट में निवेश करना ज्यादा आसान हो जाएगा। 4. REITs और InvITs को इक्विटी का दर्जा रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) और इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) को अब इक्विटी की तरह माना जाएगा। इसका मतलब है कि ये अब इक्विटी इंडेक्स में शामिल हो सकेंगे। साथ ही म्यूचुअल फंड्स को इनमें 20% तक निवेश की छूट दी गई है। इससे इनवेस्टर्स को रियल एस्टेट और इंफ्रा सेक्टर में निवेश के नए मौके मिलेंगे। 5. AIFs के लिए भी कई राहतें ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स (AIFs) के लिए भी सेबी ने कई राहतें दी हैं। अब AIF मैनेजर्स अपने निवेशकों को को-इनवेस्टमेंट (यानी एक ही कंपनी में साथ मिलकर निवेश) का मौका दे सकेंगे। साथ ही AIF मैनेजर्स अब सभी तरह के निवेशकों को सलाह दे सकेंगे, भले ही उनका फंड उस कंपनी में इन्वेस्टेड हो या नहीं। इससे AIFs की ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी। 6. NSEL मामले में सेटलमेंट स्कीम सेबी ने नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (NSEL) घोटाले से जुड़े ब्रोकर्स के लिए एक सेटलमेंट स्कीम लाने का फैसला किया। इस स्कीम से पुराने लटके मामलों को सुलझाने में मदद मिलेगी। NSEL घोटाला कई सालों से चर्चा में है और इस कदम से 300 से ज्यादा शो-कॉज नोटिस वाले ब्रोकर्स को राहत मिल सकती है। 7. IPO और QIP के नियमों में बदलाव सेबी ने IPO और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) के नियमों को भी आसान किया। अब कुछ खास IPO शेयरहोल्डर्स के लिए डीमैट अकाउंट अनिवार्य होगा। साथ ही QIP के लिए जरूरी दस्तावेजों को भी सरल किया गया है, जिससे कंपनियों को फंड जुटाना आसान होगा। 8. एंजल इनवेस्टर्स के लिए नया नियम सेबी ने एंजल इनवेस्टर्स को अब एक्रेडिटेड इनवेस्टर्स (AIs) के तौर पर मान्यता दी है। साथ ही उन्हें क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) का दर्जा भी दिया गया है, लेकिन ये सिर्फ एंजल फंड्स में निवेश के लिए होगा। इससे एंजल इनवेस्टर्स की भागीदारी बढ़ेगी और स्टार्टअप्स को फंडिंग मिलने में मदद मिलेगी। सेबी का मकसद: बिजनेस को आसान बनाना सेबी चेयरमैन तुहिन कांता पांडे ने कहा, ‘ये सारे प्रस्ताव पहले कंसल्टेशन पेपर्स के जरिए डिस्कस किए गए थे और कमेटियों की सलाह के बाद बोर्ड में लाए गए।’ सेबी का फोकस मार्केट में इनोवेशन को बढ़ावा देना, निवेशकों को ज्यादा मौके देना और बिजनेस करने की प्रोसेस को आसान करना है। इन फैसलों से भारत का कैपिटल मार्केट और मजबूत होगा और स्टार्टअप्स से लेकर बड़े निवेशकों तक सभी को फायदा मिलेगा। सेबी के इस कदम से भारत को ग्लोबल इनवेस्टमेंट के लिए और आकर्षक बनाने की कोशिश है।
