RAS Success Story: कहते हैं कि जीत से बढ़कर कुछ नहीं होता, लेकिन बाड़मेर के युवा पवन प्रजापत ने इस कहावत को खुद पर नाज़िल करते हुए दिखाया है कि जीत का सफलता में केवल एक पहलु है। मुश्किल हालातों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी आरएएस परीक्षा में सफलता हासिल करके राजस्थान प्रशासनिक सेवा में सफलता की सीढ़ी चढ़ी।

पवन का सफलता का सफर चपरासी के पद से शुरू हुआ था, लेकिन उनका जज्बा और मेहनत ने उन्हें उच्चतम सिविल सेवा में स्थान प्राप्त करने का मौका दिलाया। उनकी कड़ी मेहनत, संघर्ष, और समर्पण ने उन्हें एक उच्च स्थान पर पहुंचाया है जहां से वह समाज के लिए सेवा करने का अवसर पाएंगे।
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इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन में कभी-कभी हालात अच्छे नहीं होते, लेकिन यदि हमारी मेहनत, संघर्ष, और आत्मसमर्पण सही हो, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। पवन प्रजापत की तरह हमें भी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
बाड़मेर के छोटे से गांव भीमडा के निवासी, पवन प्रजापत, ने अपनी आरएएस परीक्षा के परिणाम के बाद लोगों की आलोचना का कठिनाईयों और संघर्षों के बावजूद अपनी मेहनत और संघर्षबद्ध दृष्टिकोण से चर्चा का केंद्र बना लिया है।
भीमडा के छात्र बनकर शुरु हुई पढ़ाई में उन्होंने दसवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की और बाटाडू से बाहरवीं कक्षा में पढ़ाई की। इसके बाद, उन्होंने अपने उच्चतम शिक्षा को समाप्त किया और ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। हालांकि, वह सिरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे, तो 2012 में भारतीय सेना ने पवन प्रजापत को चपरासी के पद के लिए चयनित किया।
इस नौकरी का प्राप्ति ने पवन को एक नई ऊँचाईयों की ओर बढ़ने का मौका दिया, और उन्होंने इसे एक मजबूत संघर्ष और सफलता की कहानी में बदल दिया। इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर किसी का इरादा सच्चा हो और वह अपनी मेहनत में ईमानदार हो, तो उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में कोई भी कठिनाई आसानी से नहीं रोक सकती।
RAS Success Story: चपरासी से लेकर अफसर तक…
पवन प्रजापत ने स्वयं को साबित करने में अपने अद्वितीय सफर को बयान किया है। उन्होंने बताया कि उन्हें 2013 में भारतीय सेना में चपरासी की नौकरी मिली, लेकिन उनका उद्दीपन और मेहनत उन्हें इस सफलता की ऊँचाईयों तक पहुंचाई।
उन्होंने गैंगमैन के रूप में छह महीने तक काम किया, जिससे उन्हें नए दृष्टिकोण और अनुभव का सामना करने का अवसर मिला। इसके बाद, 2014 में पटवारी के पद के लिए चयन होने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने अपने लक्ष्यों की दिशा में कदम बढ़ाया।
उनका संघर्ष बढ़ता गया, और 2016 में राजस्थान में नगरपरिषद आरओ के रूप में टॉप किया जाना उनके प्रयासों की पुनरावृत्ति को दर्शाता है। इसके बाद, उन्होंने अपने लक्ष्यों को और उच्च स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया और आरएएस परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया।
पवन प्रजापत ने बताया कि उन्होंने 2018 में पहली बार आरएएस का परीक्षा दिया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई में और भी गहराईयों तक जा कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ा।
2021 की आरएएस भर्ती परीक्षा में 170वीं रैंक हासिल करके उन्होंने अपने संघर्ष का फल प्राप्त किया। यह उनका दूसरा प्रयास था, जो उनकी मेहनत, समर्पण, और आत्मविश्वास को दिखाता है।
पवन प्रजापत ने अपने परिवार के बारे में भी बताया, जिसमें वह सात भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। उनके माता-पिता किसान हैं, जिनका साथ देकर उन्होंने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मेहनत और संघर्ष की ताकत को महसूस किया।
इस प्रेरणादायक कहानी के माध्यम से, पवन प्रजापत ने दिखाया है कि संघर्ष, मेहनत, और समर्पण से व्यक्ति किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो।
RAS Success Story: गुरु और दोस्त का खूब मिला सहयोग
पवन प्रजापत ने साझा किया कि उनके दोस्त, पृथ्वीराज राजपुरोहित, ने स्कूली शिक्षा में उनकी मदद की थी, जिसने उनकी शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया। उनका यह साथ ने उनकी शिक्षा और सामाजिक समर्थन को बढ़ावा दिया।
इसके अलावा, गुरु स्वर्गीय जगदीश सिंह चौधरी ने भी उनको जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान किया। उनका जज्बा और आशीर्वाद ने उन्हें संजीवनी बूटी की भाँति साहस और सामर्थ्य से भर दिया। इसे मैं अपने जीवन के महत्वपूर्ण बदलाव की नींव मानता हूं।
पवन ने इस साझा किए गए साथीपन को अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण रूप में बताया है, जिन्होंने उनकी पढ़ाई और संघर्ष में मदद की है। उनके जीवन में गुरु का बड़ा योगदान होने पर विशेषकर उनकी सिखने और विकास की प्रक्रिया में।