भास्कर संवाददाता| जैसलमेर जैसलमेर के नहरी व बारानी भूमि पर लगातार अवैध काश्त बढ़ती जा रही है। लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। उपनिवेशन विभाग व तहसील कार्यालय द्वारा कार्रवाई के नाम पर समय-समय पर अवैध काश्त के खिलाफ पुलिस से इमदाद मांगी जाती है। लेकिन उसके बाद ना तो पुलिस द्वारा दस्ता दिया जा रहा है और न ही उपनिवेशन व राजस्व विभाग इस पर आगे कोई कार्रवाई कर रहा है। इसके अलावा उपनिवेशन व राजस्व विभाग द्वारा अवैध काश्त करने वालों को सिर्फ नोटिस जारी कर इतिश्री की जा रही है। पिछले एक दशक से इक्का-दुक्का कार्रवाई कर विभाग मौन हो गया है। जिससे सरकारी जमीन पर अवैध काश्त करने वालों के हौसले और ज्यादा बुलंद हो गए हैं। इसके अलावा वास्तविक रूप से अवैध काश्त करने वालों पर कार्रवाई कोसों दूर नजर आ रही है। उपनिवेशन व राजस्व विभाग के तहसील कार्यालय द्वारा अवैध काश्त के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने से अवैध काश्त करने वालों में लगातार इजाफा हो रहा है। ^यदि सरकारी भूमि पर अवैध रूप से काश्त की जा रही है तो आगामी दिनों में हम पटवारियों से 91 की रिपोर्ट लेंगे। उस रिपोर्ट के आधार पर ही आगामी कार्रवाई की जाएगी। -गजानंद मीणा, सम तहसीलदार ^फिलहाल तो पटवारियों को ही पाबंद किया जाएगा कि कोई पुराना या नया अतिक्रमी है जो सरकारी जमीन पर अवैध खेती कर रहा है तो उसके खिलाफ 91 की कार्रवाई करें। -मोहित आशिया, जैसलमेर, तहसीलदार उपनिवेशन व तहसील विभाग द्वारा अवैध काश्त करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। यहां तक किसानों द्वारा विभाग को कई बार अवैध काश्त करने वालों की शिकायत भी की गई है। लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं की हैं। कई बार अवैध काश्त करने वाले आवंटित मुरबों में भी काश्त कर लेते हैं। जिससे आए दिन विवाद बढ़ रहे हैं। नाचना, मोहनगढ़ व रामगढ़ तक नहरी भूमि पर 40 हजार व करीब 50-60 हजार बीघा बारानी भूमि पर अवैध काश्त हो रही हैं। जैसलमेर में नाचना से लेकर रामगढ़ तक नहरी क्षेत्र अवैध काश्त से अछूता नहीं है। नाचना से लेकर रामगढ़ तक नहर के आस पास खाली पड़े चक में लोगों द्वारा काश्त करते हुए हर साल करोड़ों रुपए की पैदावार की जा रही है। शुरूआत में कुछ मुरबों में अवैध काश्त का कारोबार शुरू हुआ था। धीरे धीरे यह लगातार बढ़ ही रहा है। जैसलमेर में अब अवैध काश्त हजारों बीघा तक बढ़ गई है। लेकिन विभाग के अधिकारियों को सरकार को हो रहे इस नुकसान से कोई सरोकार नहीं है। अधिकारियों द्वारा साल में एक बार नाममात्र की कार्रवाई कर खानापूर्ति की जा रही है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि हजारों बीघा खाली पड़ी जमीन को न तो उपनिवेशन विभाग आवंटित कर रहा है और न ही इस सरकारी जमीन पर की जा रही अवैध काश्त पर कार्रवाई की जा रही है। जिससे विभाग की उदासीनता स्पष्ट नजर आ रही है। इसका एक कारण यह भी है कि उपनिवेशन व तहसील कार्यालय के कार्मिकों की भी इसमें मिलीभगत है। उपनिवेशन की उदासीनता के कारण लगातार बढ़ रही अवैध काश्त से इंदिरा गांधी नहर परियोजना विभाग की भी परेशानियां बढ़ गई है। अवैध काश्त करने वालों द्वारा से पानी की भी चोरी की जा रही है। जिससे वास्तविक किसानों को पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। हालांकि नहरी विभाग द्वारा पानी रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं।