नीट-जेईई समेत अन्य एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए 12वीं के बाद गैप देने वाले स्टूडेंट अब कभी भी कॉलेज में रेगुलर एडमिशन ले सकेंगे। राजस्थान कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने नियमों में बदलाव किया है। ऐसे में अब इन स्टूडेंट्स को न तो किसी तरह का कोई शपथ पत्र देना होगा और न ही किसी तरह की अलग से फॉर्मेलिटी करनी होगी। ऐसे स्टूडेंट्स को बिना किसी शर्त पर एडमिशन मिलेगा। कॉलेज शिक्षा निदेशालय के संयुक्त सचिव (एकेडमिक) डॉ. विजय सिंह जाट ने बताया- नई प्रवेश नीति 2024-25 में संशोधन करते हुए दो साल वाले नियम को हटा दिया गया है। एंट्रेंस-कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी के कारण नहीं लेते कॉलेज में प्रवेश
दरअसल, 12वीं के बाद कई स्टूडेंट नीट और जेईई के साथ सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए कॉलेज में एडमिशन नहीं लेते हैं। वे देश के अच्छे कॉलेज-यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट और सरकारी नौकरियों के लिए कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी में जुटे रहते हैं। 12वीं के बाद दो साल का गैप आने पर उन्हें प्रदेश की किसी भी यूनिवर्सिटी के साथ सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाता था। ऐसे में जो स्टूडेंट रेगुलर कॉलेज में पढ़ने की चाह रखने वाले होते थे, उन्हें प्राइवेट एग्जाम देकर कॉलेज शिक्षा पूरी करनी पड़ती थी। पहले ये होता था
एक्सपर्ट के अनुसार पुरानी एडमिशन पॉलिसी के दौरान कई ऐसे स्टूडेंट सामने आते थे, जो कॉम्पिटिशन एग्जाम या फिर नीई-जेईई जैसे एंट्रेंस टेस्ट के लिए दो साल का गैप रखते थे। ऐसे में इनके लिए एक नियम यह था कि अगर 12वीं के बाद ऐसा कोई स्टूडेंट दो साल के अंदर कॉलेज में एडमिशन लेना चाहता है तो उसे शपथ पत्र देना होगा। इस शपथ पत्र में उसे बताना होता था कि 12वीं के बाद दो साल का गैप क्यों आया। लेकिन, दो साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद यानी 12वीं करने के तीन साल बाद शपथ पत्र वाला नियम लागू नहीं होता था और उसे किसी भी यूनिवर्सिटी, कॉलेज में रेगुलर एडमिशन नहीं मिल पाता था। उनके लिए केवल कॉलेज और यूनिवर्सिटी की ओर से होने वाली प्राइवेट परीक्षा का ही विकल्प था। इनमें केवल मूक-बधिर, दृष्टिहीन और महिला स्टूडेंट को ही छूट थी। अब ये होगा
अब नए नियमों के अनुसार 12वीं के बाद दो साल या इससे ज्यादा समय ड्रॉप आउट होने पर अब शपथ पत्र की जरूरत नहीं होगी। यदि वह ड्रॉप आउट है और कॉलेज की पढ़ाई करना चाहता है तो दो साल बाद भी उसे रेगुलर स्टूडेंट के तौर पर एडमिशन मिल सकेगा। मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार श्वेता फगेड़िया ने बताया कि कॉलेज शिक्षा निदेशालय से इस संबंध में आदेश मिला था। इसे हमने सभी कॉलेज को भेज दिया है।