एसएमएस अस्पताल में मरीजों का भार और वेटिंग को कम करने के लिए करोड़ों की लागत से बनाया गया आरयूएचएस अस्पताल मरीजों के इलाज पर खरा नहीं उतर रहा है। कोविड महामारी के दौरान मशहूर हुआ अस्पताल अब मरीजों के बिना वीरान दिख रहा है। तीसरी मंजिल पर 60 बेड का बना आईसीयू ब्लॉक खाली पड़ा है। सिर्फ 20 बेड के एक आईसीयू में मरीज भर्ती है। इसी तरह से अधिकतर वार्डों में मरीज ही नहीं है। यहां एसएमएस, महिला चिकित्सालय सांगानेरी गेट, जनाना चांदपोल, जेके लोन और कांवटिया अस्पताल की तरह चहल-पहल नहीं दिखती। एसएमएस अस्पताल में हर माह ढ़ाई से तीन लाख मरीज अस्पताल में दिखाने के लिए पहुंचते है और 14 से 15 हजार मरीज भर्ती होते हैं, जबकि आरयूएचएस अस्पताल का हर माह का आउटडोर 25 से 30 हजार और 400 से 500 मरीज भर्ती हो रहे हैं। इसका प्रमुख कारण 700 बेड के अस्पताल में महज 12 फैकल्टी ही है। इसके अलावा नर्सिंग स्टाफ की भी कमी है। पिछले दिनाें सीएम भजनलाल शर्मा ने भी दौरा किया था। इस पर सामने आया कि एसएमएस अस्पताल मरीजाें से ओवरलाेडेड है, जबकि आरयूएचएस में बेड खाली मिलें। ये हैं खामियां…. अस्पताल में डॉक्टर्स, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के चलते इलाज के लिए आने वाले मरीजों का मोह भंग हो रहा है। गंभीर मरीजों की जांच के लिए एमआरआई जांच की सुविधा नहीं है। दिल, दिमाग और लीवर से संबंधित आधुनिक जांच सुविधा नहीं है। मेडिसन, सर्जरी, गायनी, आर्थोपेडिक्स, पीडियाट्रिक्स मेडिसन, रेडियोलोजिस्ट और मेडिकल ज्यूरिष्ट के नहीं होने से इलाज के लिए मरीज नहीं आ रहे हैं। नर्स ग्रेड प्रथम व द्वितीय के 200 से ज्यादा पद खाली है। मुख्यमंत्री की मंशा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सांगानेर, मानसरोवर, जगतपुरा, टोंक रोड, प्रतापनगर, शिवदासपुरा, दौसा, टोंक और सवाईमाधोपुर के लोगों को पास में ही इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए आरयूएचएस अस्पताल में हर तरह की सुविधा विकसित करने की मंशा है, जिससे मरीजों को एसएमएस अस्पताल नहीं जाना पड़ें। सीएम और चिकित्सा मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को हर तरह की जांचे और सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है। कुलपति भी कार्यवाहक
सरकार ने डॉ.धनन्जय अग्रवाल को आरयूएचएस में कार्यवाहक कुलपति लगा रखा है। आरयूएचएस कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के मौजूदा स्थिति में प्राचार्य के पद पर काम कर रहे डॉ.विनोद जोशी डेपुटेशन पर लगे है, जो चेस्ट एंड टीबी अस्पताल में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। इसी तरह से आरयूएचएस अस्पताल के अधीक्षक पद पर डॉ.अजीत सिंह कोरोना महामारी के समय से ही कार्यवाहक अधीक्षक बने हुए है। साथ में उनके पास एसएमएस अस्पताल का अतिरिक्त अधीक्षक का पद भी है। कुलपति ने भी माना डॉक्टर्स की कमी पहले तो कोविड महामारी थी। मौजूदा स्थिति में डॉक्टर्स, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है। मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री के प्रयास से यहां पर जल्द डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ लगाने के साथ ही सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा, जिससे एसएमएस व जेके लोन पर मरीजों का भार कम होगा। -डॉ.धनन्जय अग्रवाल, कुलपति, आरयूएचएस
