सीकर के सदर थाना इलाके में बहन-भाई को सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर ठगी का मामला सामने आया है। ठग ने दोनों को नौकरी लगवाने के नाम पर 14.35 लाख रुपए ऐंठ लिए। और अब पैसे भी नहीं लौटा रहा है। अब सदर थाना पुलिस मामले की जांच में जुटी है। लिफ्ट देने के बहाने की बात धोद इलाके के रहने वाले नरेंद्र ने सदर थाने में रिपोर्ट देकर बताया है कि वह पिछले 5 साल से कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहा है। वह सीकर में किराए पर रहता है। 5 सितंबर 2022 को वह ग्राम सचिव की परीक्षा देकर जयपुर में बस के इंतजार पर चौमू पुलिया पर खड़ा था। इसी दौरान वहां सीकर नंबर की गाड़ी आई तो नरेंद्र ने हाथ का इशारा किया। तो गाड़ी के ड्राइवर ने गाड़ी को रोक लिया। नरेंद्र ने गाड़ी वाले को सीकर चलने के बारे में पूछा तो उसने हां कहा। नरेंद्र ने बताया- वह उस गाड़ी में बैठ गया। रास्ते में उसकी पहचान गाड़ी मालिक रतनलाल सेवदा निवासी करणपुरा से हुई। जिसने नरेंद्र को कहा कि उसके पास किसी भी कंपटीशन एग्जाम का पेपर 2 दिन पहले आ जाता है और आज भी वह जयपुर लड़कों को पेपर करवा कर ही वापस आ रहा है। रतनलाल ने नरेंद्र को कहा कि उसके पास आज हुई परीक्षा का पेपर भी 3 सितंबर 2022 को आया था। रतनलाल ने नरेंद्र को वह पेपर दिखाया। इसके प्रश्न ओरिजिनल पेपर से मैच हो रहे थे। ऐसे में नरेंद्र को रतनलाल पर विश्वास हो गया। 15 लाख में सौदा तय हुआ नरेंद्र ने बताया- उसने रतनलाल को कहा कि मेरी भी सरकारी नौकरी लगवा दो। इस पर रतनलाल ने जवाब दिया कि अभी तो एग्जाम हो चुका है। नरेंद्र ने कहा कि रेलवे में ग्रुप डी के फॉर्म भरे हुए हैं। पेपर लेना है या पूरी सेटिंग करनी है। रतनलाल ने कहा कि पेपर के 10 लाख और पूरा काम करवाना हो तो 16 लाख लगेंगे। रतनलाल ने कहा कि तुम 15 लाख रुपए दे देना। फिर रतनलाल ने फोन पर किसी से बात की और कहा कि ग्राम सचिव में ओएमआर बदलना है तो सामने वाले ने कहा कि खर्चा ज्यादा आएगा। दोनों के बीच 15 लाख में सौदा तय हुआ। नरेंद्र ने 5.06 रुपए लाख रतनलाल को दे दिए। लेकिन जब रिजल्ट आया तो उसमें नरेंद्र फेल हो गया। फिर नरेंद्र के घर वाले रतनलाल के घर गए जहां उनके परिवार के द्वारा आश्वासन दिया गया की रेलवे वाली नौकरी में सिलेक्शन करवा देंगे। नरेंद्र ने बताया- वह रेलवे में ग्रुप डी के रिजल्ट में नरेंद्र फेल हुआ। जब नरेंद्र की बहन ने केवीएस की एग्जाम दी तो रतनलाल ने कहा कि उसकी जानकारी है और वह नरेंद्र की बहन की नौकरी लगवा देगा। रतनलाल के कहने पर नरेंद्र के घरवालों ने लाखों रुपए उसे ट्रांसफर कर दिए। फिर रतनलाल ने 6 लाख रुपए और ले लिए। रतनलाल ने नरेंद्र और उसके घर वालों से 14.35 लाख रुपए ले लिए। लेकिन इसके बाद भी केवल यहां से वहां चक्कर कटवाता रहा। जब रतनलाल के घर वालों ने दिल्ली में केंद्रीय विद्यालय के हेड ऑफिस में पता किया तो पता चला कि रतनलाल का पूरा मामला फर्जी है। पहले तो रतनलाल के घर वालों ने एक महीने में रुपए लौटाने की बात कही लेकिन अब वह केवल चक्कर कटवा रहे हैं। इस तरह से रतनलाल ने नरेंद्र और उसकी बहन को नौकरी लगवाने के नाम पर 14.35 लाख रुपए ऐंठ लिए।