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चित्तौड़गढ़ जिले के गौ सेवा प्रेमियों के लिए एक बड़ी और प्रेरणादायक खबर सामने आई है। जिले का पहला गौ हॉस्पिटल बनकर पूरी तरह तैयार हो गया है। यह हॉस्पिटल चित्तौड़गढ़ शहर से नजदीक लालजी का खेड़ा गांव में बनाया गया है। यह हॉस्पिटल विशेष रूप से घायल, बीमार और बेसहारा गायों के इलाज और देखभाल के लिए समर्पित है। इसका उद्देश्य न सिर्फ गायों को जीवनदान देना है, बल्कि गौ माता की सेवा के माध्यम से समाज में संवेदना और धर्म के प्रति जागरूकता भी बढ़ाना है। ICU और वार्ड सुविधा से सुसज्जित हॉस्पिटल
गौ हॉस्पिटल में आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। यहां पर 3 मुख्य प्रकार के वार्ड बनाए गए हैं जैसे ICU वार्ड, सेमी ICU वार्ड, और जनरल वार्ड। फिलहाल ICU और जनरल वार्ड में काम पूरा हो चुका है, जबकि सेमी ICU वार्ड का निर्माण काम अंतिम चरण में है।
ICU में गंभीर रूप से घायल या बीमार गायों का इलाज होगा, जिसमें निगरानी और त्वरित उपचार की सुविधा होगी। वहीं, सामान्य बीमारियों या हल्की चोटों के लिए जनरल वार्ड में इलाज किया जाएगा। 50 किलोमीटर के दायरे में एम्बुलेंस सेवा
गायों के तुरंत इलाज के लिए हॉस्पिटल में गौ एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत भी की गई है। यह एम्बुलेंस सेवा 50 किलोमीटर के दायरे में काम करेगी। अगर कहीं कोई घायल गाय दिखाई देती है, तो सिर्फ एक कॉल पर यह एम्बुलेंस मौके पर पहुंचेगी और गाय को हॉस्पिटल लाकर इलाज करवाएगी। एम्बुलेंस के संचालन के लिए एक प्रशिक्षित ड्राइवर की भी नियुक्ति की गई है, ताकि सेवा सुचारु रूप से जारी रहे। इस सेवा का उद्देश्य यह है कि किसी भी घायल गौ माता को समय पर सहायता मिल सके और उसकी जान बचाई जा सके। नंदिनी गौ शाला में मिलेगा स्थायी सहारा
हॉस्पिटल में इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी गायों को नंदिनी गौ शाला में रखा जाएगा, जहां उन्हें सुरक्षित और शांत वातावरण में मिलेगा। वर्तमान में इस गौ शाला में लगभग 275 गायें मौजूद हैं, जिनकी नियमित देखभाल की जा रही है।
गौ शाला के आसपास पर्याप्त खाली जमीन है, जिससे गायों को खुले में विचरण करने की पूरी सुविधा मिलती है। उनके लिए एक विशेष चारा गौ माता केंद्र भी बनाया गया है, जिससे उनके भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। स्टाफ और संसाधनों की पूरी व्यवस्था
गौ हॉस्पिटल में गायों की देखभाल के लिए एक पशु चिकित्सक (वेटनरी डॉक्टर) की नियुक्ति की गई है। उनके साथ एक कंपाउंडर, सहायक ग्वाल, सफाई कर्मचारी और अन्य सेवक भी कार्यरत हैं। गायों के इलाज के लिए सभी जरूरी दवाइयों और उपकरणों की व्यवस्था की गई है, जिससे किसी भी बीमारी या दुर्घटना में तुरंत उपचार संभव हो सके। इसके साथ ही गर्मी से राहत देने के लिए कूलर भी लगाए गए। आध्यात्मिक भाव से जुड़ा गौ हरिनाम सत्संग भवन
इस पूरे प्रोजेक्ट की सबसे खास बात यह है कि गौ सेवा को केवल एक चिकित्सीय या सामाजिक पहल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना के रूप में देखा गया है। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए हॉस्पिटल परिसर में ‘गौ हरिनाम रामचौकी सत्संग भवन’ का निर्माण भी किया गया है।
यह भवन धार्मिक आयोजन, कथा, भजन, और कीर्तन के लिए उपयोग किया जाएगा। इसमें ठाकुरजी की मूर्ति भी स्थापित की गई है। इससे वातावरण में भक्ति और सेवा का संचार होगा और यहां आने वाले लोगों को भी मानसिक शांति मिलेगी। ‘नानी बाई का मायरा’ कथा से मिली प्रेरणा और सहयोग
इस हॉस्पिटल के निर्माण में एक खास योगदान रहा जिला परिषद के एसीईओ और संत कथावाचक राकेश पुरोहित का। उन्होंने जनवरी महीने में ‘नानी बाई का मायरा’ कथा का आयोजन करवाया था, जिसमें राजस्थान के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु शामिल हुए थे। इस आयोजन के माध्यम से जो धनराशि ‘मायरा’ में एकत्र हुई, उसी से गौ हॉस्पिटल का निर्माण किया गया। इतना ही नहीं, प्रशासनिक संत राकेश पुरोहित की प्रेरणा से ही ये गौ हॉस्पिटल बनाया गया है। यह पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल है कि कैसे धार्मिक आस्था और जनभागीदारी से सामाजिक और मानवीय काम को साकार किया जा सकता है। संत राकेश पुरोहित का मानना है कि गौ सेवा सबसे बड़ी सेवा है। वे कहते हैं “गौ सेवा से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और यह जीवन को सार्थक बनाती है।” समाज से जुड़ने का आह्वान
गौ हॉस्पिटल और गौ शाला की सेवाएं अब सिर्फ सरकारी या संस्थागत नहीं, बल्कि जन सहभागिता से संचालित की जाएंगी। कोई भी गौ भक्त इस काम से जुड़ सकता है चाहे वह सेवा, दान, श्रमदान या भावनात्मक सहयोग के रूप में हो। हॉस्पिटल और गौ शाला के विस्तार की अभी भी काफी संभावनाएं हैं। आसपास की भूमि पर और भी ज्यादा सुविधाएं, विश्राम स्थल, गौ वंश के लिए प्राकृतिक स्थान आदि बनाए जा सकते हैं, अगर समाज इस दिशा में एकजुटता दिखाए।

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