भगवान जगन्नाथ व देवी जानकी विवाह के बाद शुक्रवार शाम इंद्र विमान से ही वापस जगन्नाथजी मंदिर लौटेंगे। रूपबास में सुबह माखन मिश्री, दूध, दही, लस्सी, हलुवा व मिठाई भेजी गई। विवाह महोत्सव के अंतिम दिन शुक्रवार को रूपबास की बेटी जानकी की विदाई होगी। एक दिन पहले ही दाेनों को रूपबास रूपहरि मंदिर में विवाह हुआ। वर माला कार्यक्रम में हजारों लोग पहुंचे थे। भगवान जगन्नाथजी जानकी को ब्याह कर सुभाष चौक स्थित मंदिर में आएंगे। पूरे 6 KM के रास्ते में जगह-जगह पुष्प वर्षा होगी। मंदिरों में आरती की जाएगी। शुक्रवार को इंद्रविमान का पूजन होगा। शाम करीब साढ़े 6 बजे भगवान जगन्नाथजी और माता जानकी को रथ में विराजमान किया जाएगा। वहां से चलने के बाद रास्ते में आने वाले 56 मंदिरों में भगवान की आरती होगी। तीन दिन से जगन्नाथजी के मेले में श्रद्धालुओं की खूब भीड़ है। मेले में जिले के अलावा प्रदेश भर के भक्त पहुंचते हैं। मन्नोती मांगते हैं। उधर, विवाह के दौरान जगन्नाथजी मंदिर में बूढ़े जगन्नाथजी के दर्शन होते हैं। इनके दर्शनों के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। वैसे साल भर बूढ़े जगन्नाथजी पीछे की तरफ रहते हैं। अब विवाह के दौरान जगन्नाथजी रूपबास आते हैं। तब पीछे से उनके दर्शन कराए जाते हैं।