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जैसलमेर शहर को मानसून की बारिश का इंतजार है। मगर शहर में अभी तक बारिश नहीं होने से लोग निराश हो रहे हैं। शहर में हल्के बादलों की आवाजाही से लोगों को बारिश की उम्मीद रहती है, मगर बिन बरसे जाते बादलों को देख निराशा हाथ लग रही है। दरअसल, जैसलमेर शहर में इस साल सबसे कम बारिश हुई है। इस साल अप्रैल तक शहर में मात्र 4MM ही बारिश हुई। उसके बाद मई महीना सूखा निकला। जून में 52MM बारिश हुई। वहीं जुलाई में मानसून कमजोर पड़ने के कारण अभी तक शहर में बारिश नहीं हुई है। जबकि पिछले 3 साल से मई से जुलाई तक अच्छी बारिश होती है। चार साल में इस साल 2 इंच ही बरसा पानी
जैसलमेर शहर में पिछले 4 साल के मुकाबले केवल इसी साल ही सबसे कम दो इंच पानी बरसा है। पिछले साल मई में 57 एमएम, जून में 33 एमएम व जुलाई में 95 एमएम बारिश हुई थी। वहीं 2022 में मई में 2 एमएम, जून में 21.5 एमए व जुलाई में 137.5 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आगामी 5 से 6 दिनों तक जैसलमेर में मानसून सक्रिय होने की संभावना नहीं है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि जुलाई का आधा महीना सूखा बीतने की संभावना है। अलनीनो सक्रिय होने से कमजोर हो रहा मानसून
अलनीनो व ला-नीनो दोनों मौसमी परिस्थितियां मानसून को प्रभावित करती है। अलनीनो सक्रिय हो तो वह मानसून को कमजोर करता है और ला-नीनो मानसून को मजबूत। पिछले कई दिनों से अल नीनो की परिस्थिति बनी हुई थी। प्रशांत महासागर में करीब 2 माह से अलनीनो की परिस्थिति बनी हुई थी। इसका असर हमारे यहां भी दिखाई दे रहा था। अलनीनो के असर से बादलों की आवाजाही व नमी की उपलब्धता नहीं हो रही थी। यही कारण है कि गई गर्मी का असर ज्यादा दिखाई दिया और बारिश नहीं हुई। लेकिन अब ये परिस्थितियां बदल गई हैं। अलनीनो का असर समाप्त होकर ला-नीनो की परिस्थिति बनने लगी है। परिस्थितियां सुधरेगी और बारिश की संभावनाएं बनेगी। 6.69 लाख हेक्टेयर में खरीफ बुआई का लक्ष्य
​​​​​​​आगामी 5-6 दिन बारिश की संभावना नहीं है। जिले में अभी तक जमकर बारिश नहीं हुई है। ऐसे में किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे है। इस बार 6 लाख 69 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई क लक्ष्य है। जिसमें से मूंगफली की 85 प्रतिशत बुआई हो चुकी है। अब मानसून की बरसातों के बाद किसान बाजरा व ग्वार की फसलों की बुआई में जुट जाएंगे। इसके अलावा मूंग, मोठ, ज्वार, तिल व अरंडी को लेकर भी किसान बुआई करेंगे।

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