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हर साल वन विभाग की ओर से वैशाख पूर्णिमा को वाटर हॉल पद्धति से वन्यजीवों की गणना की जाती है। इस साल भी पूर्णिमा से पहले तैयारियां की गई। लेकिन पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के कारण हुई बरसात से गणना को स्थगित कर दिया गया। जिसके बाद ज्येष्ठ पूर्णिमा को चंद्रमा की धवल चांदनी की रोशनी में वन्यजीवों की गणना की गई। जिसमें पिछले साल के मुकाबले इस साल 20 प्रतिशत ज्यादा वन्यजीव नजर आए है। इसके साथ ही पहली बार वाटर हॉल पद्धति में 73 गोडावण दिखाई दिए है। लगातार 24 घंटे तक वनकर्मियों ने वॉटर पॉइंट पर बैठकर वन्यजीवों को देखा। जिसमें गोडावण की अच्छी संख्या के बाद अब विभिन्न वन्यजीवों के भी सुखद आंकड़े सामने आए हैं। 2023 के बाद अब हुई वन्यजीवों की गणना
गौरतलब है कि वर्ष 2023 में बरसात के कारण वन्यजीवों की गणना नहीं की गई थी। पिछले साल भी पश्चिमी विक्षोभ के कारण वन्यजीवों की वाटर हॉल पद्धति से की जाने वाली गणना को टाल दिया था। जिसके बाद ज्येष्ठ पूर्णिमा को वन्यजीवों की गणना की गई। इस साल भी बरसात के कारण बैशाख पूर्णिमा की बजाय ज्येष्ठ पूर्णिमा को वन्यजीवों की गणना की गई। जिसमें वन्यजीवों के अच्छे आंकड़े मिले है। ऐसे होती है वाटर हॉल पद्धति से गणना
जैसलमेर व राष्ट्रीय मरु उद्यान क्षेत्र में विचरण करने वाले वन्यजीवों की वाटर हॉल पद्धति के माध्यम से चयनित वाटर पॉइंट के पास मचान पर बैठकर गणना की जाती है। हर साल डीएनपी द्वारा बैशाख माह की पूर्णिमा के अवसर पर चांद की भरपूर रोशनी में वन्यजीवों की गणना की जाती है। इस गणना को जानकारों के अनुसार काफी हद तक सही भी माना जाता है। जानकार इसका कारण यह भी बताते है कि भीषण गर्मी के इस मौसम में वन्यजीव दिन में एक बार पानी पीने ज़रुर आते है। उस क्लोजर पर पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की गणना की जाती है। इस साल गत 10 जून को सुबह 8 बजे से 11 जून की सुबह 8 बजे तक पानी के स्थानों के पास मचान बनाकर गणना की गई। DNP एरिया में की गई गणना
जैसलमेर में वन विभाग को 3 भागों में बांटा गया है। वन विभाग, राष्ट्रीय मरु उद्यान वन विभाग व शेष बचे भाग को डीडीपी में बांटा गया है। डीएनपी द्वारा 52 तथा डीडीपी द्वारा 6 जोन के 24 वाटर पॉइंट पर वन्यजीवों की गणना की गई। वाटर हॉल पद्धति से की गई गणना में 73 गोडावण के साथ दूसरे वन्यजीव भी नजर आए है। गणना में 47 मरु बिल्ली, 125 लोमड़ी, 120 मरु लोमड़ी, 2133 चिंकारा, 150 वल्चर, 106 सारस व 250 के करीब मोर नजर आए है। जैसलमेर में वाटर हॉल की गणना में 6192 वन्यजीव नजर आए है। इन वन्यजीवों की होती है गणना
वन विभाग द्वारा हर साल बैशाख पूर्णिमा को निश्चित संख्या पर वाटर पॉइंट बनाकर गणना की जाती है। वाटर हॉल पद्धति से मांसाहारी पशुओं में सियार, गिदड़, जंगली बिल्ली, मरू बिल्ली, लोमड़ी, मरू लोमड़ी शाकाहारी पशुओं में रोजड़ा/नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, सेही व पक्षियों में गोडावण, गिद्ध, शिकारी पक्षी (बर्ड्स ऑफ प्रे), मोर व साण्डा की गणना की जाती है। इसके अलावा भी कोई पशु या पक्षी नजर आता है तो उसे भी अंकित किया जाता है। ब्रीडिंग सेंटर में बढ़ा गोडावण का कुनबा
ब्रजमोहन गुप्ता, डीएफओ, डीएनपी ने बताया- फील्ड में 73 गोडावण की अच्छी संख्या दिखाई देने के साथ ही ब्रीडिंग सेंटर में भी गोडावण की फौज बढ़ रही है। जैसलमेर के रामदेवरा व सम स्थित ब्रीडिंग सेंटरों में गोडावण की संख्या बढ़कर 62 पहुंच गई थी। जिसके बाद पिछले दिनों भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को लेकर रामदेवरा से 5 और सम से 4 गोडावण को अजमेर शिफ्ट कर दिया गया था। जिसके बाद अब जैसलमेर के दोनों ब्रीडिंग सेंटर पर गोडावणों की संख्या 53 है। वाटर हॉल पद्धति में 73 गोडावण नजर आए है। जो पिछले सालों के मुकाबले एक सुखद आंकड़ा है। इसके अलावा भी कई वन्यजीव नजर आए है। वन्यजीवों के लिहाज से बात करे तो इस साल आंकड़ा बढ़ा है, जो सुखद संकेत है।

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