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भास्कर एक्सपर्ट पीबीएम के यूरोलॉजी विभाग में पहली बार एक महिला के 19 सेंटीमीटर की एड्रिनल फियोक्रोमोसायटोमा (अधिवृक्क ग्रंथि) ट्यूमर को सफलतापूर्वक हटाया गया है। यह ट्यूमर भारत में अब तक ऑपरेट किए गए सबसे बड़े एड्रिनल ट्यूमर्स में से एक होने का दावा चिकित्सकों ने किया है। बीकानेर संभाग की करीब 45 वर्षीय एक महिला काफी दिनों से परेशान थी और डॉक्टरों चक्कर लगा रही थी। रोगी को लंबे समय से अनियंत्रित रक्तचाप, अत्यधिक पसीना आने और दिल की धड़कनों में तेजी की शिकायत थी, जो फियोक्रोमोसायटोमा की प्रमुख लक्षण होते हैं। यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर स्थिति होती है, जिसमें शरीर में अत्यधिक कैटेकोलामाइन हार्मोन बनते हैं। जांच में ट्यूमर का पता चला। यह ट्यूमर दाहिनी एड्रिनल ग्रंथि से उत्पन्न हुआ था और कई ऑर्गन से जुड़ा हुआ था। ऐसे में उसे निकाला काफी जटिल और जोखिम भरा था। ऑपरेशन करीब 5 घंटे चला। ट्यूमर को टच करते ही महिला का बीपी बढ़ जाता था। निकालने के बाद बीपी तेजी से गिरने लगा। ऐसे में महिला को कुछ दिन वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। ऑपरेशन हालांकि मां योजना में हुआ था, लेकिन उसके लिए बाहर से उच्च क्वालिटी के इंजेक्शन खरीदे गए। यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. मुकेश चंद्र आर्य ने बताया कि महिला अब ठीक है। उसे छुट्टी दे दी गई है। राहत की बात ये है कि ट्यूमर कैंसर नहीं था। इसकी वजह से तत्काल मृत्यु तक हो जाती है। बायोकेमिकल जांच में यह ट्यूमर मेटाबॉलिक एक्टिव था महिला के सीटी स्कैन और 3डी वेस्कुलर रिकंस्ट्रक्शन से पता चला कि यह ट्यूमर अत्यधिक रक्त संचारित था और आईवीसी (इंफीरियर वेना केवा), यकृत, दाहिनी वृक्क शिरा, डायाफ्राम और ड्योडेनम जैसे महत्वपूर्ण अंगों के अत्यंत समीप था, जिससे शल्य चिकित्सा अत्यंत जटिल बन गई। डॉ. मुकेश चन्द्र आर्य, डॉ. योगेन्द्र, डॉ. अभिषेक और डॉ. नरेंद्र ने सटीक योजना और कुशल तकनीकी के साथ ओपन राइट एड्रीनेलेक्टॉमी संपन्न की। ऑपरेशन से पहले रोगी को एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ. हरदेव नेहरा के मार्गदर्शन में अल्फा-ब्लॉकेड, बीटा-ब्लॉकेड, हाई सोडियम डाइट और IV हाइड्रेशन द्वारा हीमोडायनामिक रूप से स्थिर किया गया। बीपी और दिल की धड़कन तेज हो तो फियोक्रोमोसायटोमा की जांच अवश्य कराएं यदि किसी रोगी को बार-बार रक्तचाप बढ़ने, दिल की धड़कनों में तेजी और अत्यधिक पसीना आने की शिकायत हो, तो उसे फियोक्रोमोसायटोमा जैसे सेकंडरी कारणों के लिए अवश्य जांच करानी चाहिए। पेट की सीटी या एमआरआई से फियोक्रोमोसायटोमा की पहचान हो जाती है। प्रो. डॉ. मुकेश आर्य विभागाध्यक्ष, यूरोलॉजी

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