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हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है। इस साल 13 मार्च को होलिका दहन होगा और 14 मार्च को होली मनाई जाएगी। पंडित मुदित अग्रवाल ने बताया कि होलिका दहन सूर्यास्त के बाद किया जाता है, लेकिन भद्रा काल में इसे करना शुभ नहीं माना जाता। इस साल जयपुर के जयादित्य पंचांग के अनुसार, रात 11:00 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा। इसलिए 13 मार्च को रात 11:00 बजे के बाद ही होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा। पंडित मुदित अग्रवाल ने बताया कि होलिका पूजन के दौरान कुछ विशेष सामग्रियां अर्पित करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। धुलंडी पर भस्म लगाने का महत्व पंडित मुदित अग्रवाल ने बताया कि होली के अगले दिन, यानी धुलंडी पर, होलिका दहन की भस्म को शरीर पर लगाने की परंपरा है। इसे सालभर सुरक्षा कवच बनाए रखने का प्रतीक माना जाता है।

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