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जैसलमेर में आने वाले मानसून को देखते हुए SDRF व भारतीय सेना ने एक जॉइंट मॉक ड्रिल का आयोजन किया। जैसलमेर के डेढ़ा गांव के रण इलाके में आपदा प्रबंधन का सफल अभ्यास किया गया। इस दौरान पानी में आई बाढ़ में फंसे 4 लोगों को बचाने की मॉक ड्रिल आयोजित की गई। अभ्यास का नेतृत्व कर रही एसडीआरएफ की प्लाटून कमांडर अदिति बेनीवाल ने बताया- एसडीआरएफ ने राज्य के 32 संभावित बाढ़ प्रभावित जिलों में 57 विशेष रेस्क्यू टीमें तैनात की है। ये टीमें आपदा राहत उपकरणों से लैस है। यह तैयारी एडीजीपी डॉ. हवासिंह घुमरिया और कमांडेंट राजेंद्रसिंह सिसोदिया के निर्देशन में की गई है। आपात स्थिति में सहायता पहुंचाने का किया अभ्यास
प्लाटून कमांडर अदिति बेनीवाल ने बताया- इसका उद्देश्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाना है। जैसलमेर के डेढ़ा गांव के पास स्थित बुझ झील में एसडीआरएफ और भारतीय सेना ने संयुक्त मॉक ड्रिल की। यह अभ्यास मानसून के दौरान संभावित बाढ़ स्थितियों से निपटने के लिए किया गया। इस मॉक ड्रिल का नेतृत्व एसडीआरएफ प्लाटून कमांडर अदिति बेनीवाल ने किया। 70 लोगों ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन
प्लाटून कमांडर अदिति बेनीवाल ने बताया- इस मॉक ड्रिल में भारतीय सेना के 60 जवान व SDRF के 10 जवानों ने हिस्सा लिया। 2 पानी की बोट की मदद से पानी में डूब रहे चार लोगों को बचाने का मॉक ड्रिल आयोजित किया गया। बोट के द्वारा भारतीय सेना और SDRF के जवानों ने डूबते लोगों को सफलता पूर्वक बचाया। पानी डूबे लोगों का किया रेस्क्यू
रण ऑफ डेढ़ाणा क्षेत्र में हुए इस अभ्यास में एसडीआरएफ और सेना की टीमों ने बाढ़ बचाव की रणनीति पर काम किया। साथ ही बताया गया कि मानसून में भारी बारिश से जलभराव और नदियों में पानी का स्तर बढ़ सकता है। इससे बाढ़ की स्थिति बन सकती है। ऐसे में एसडीआरएफ की टीमें लोगों को सुरक्षित निकालने और फंसे नागरिकों तक पहुंचने में अहम भूमिका निभाती है। एसडीआरएफ का आदर्श वाक्य आपदा सेवार्थ कटिबद्धता है।

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