जिला परिषद ने अब पर्यावरण संरक्षण के मकसद से नई योजना बनाई है। अब गांव में ही पसंद का पौधा चाहे वह आम हो, पीपल हो या नीम उपलब्ध होगा। जिला परिषद ने इस उद्देश्य से जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में नर्सरी तैयार करने के निर्देश जारी किए हैं। बारिश के सीजन में इस योजना को गति दी जा रही है। हर पंचायत में 1.5 मीटर चौड़ाई और 10 फीट लंबाई की दो क्यारियां तैयार की जा रही हैं, जिनमें पौधे लगाए जाएंगे। ये पौधे लगभग 3 फीट की ऊंचाई तक तैयार होंगे, ताकि आगामी सीजन में रोपण के लिए उपयुक्त बन सकें। मनरेगा से सहयोग नर्सरी की देखभाल की जिम्मेदारी मनरेगा मजदूरों को दी गई है। मनरेगा प्रभारी अधिकारी कैलाश बारोलिया ने बताया कि इस योजना के तहत श्रम और सामग्री दोनों का व्यय मनरेगा से किया जाएगा। नर्सरी में तैयार पौधे न केवल सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे, बल्कि यदि कोई ग्रामीण अपनी निजी भूमि पर भी पौधा लगाना चाहे, तो वह इन नर्सरियों से पौधे क्रय कर सकेगा। 415 पंचायतों में12.45 लाख पौधे जिले में 415 ग्राम पंचायतें हैं। प्रत्येक को एक नर्सरी तैयार करने का लक्ष्य दिया है। कुल 12.45 लाख पौधे तैयार किए जाएंगे। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में नर्सरियां एक साथ तैयार की जा रही हैं। नर्सरी तैयार होने के बाद पंचायतों को पौधों के लिए वन विभाग या किसी अन्य एजेंसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इनका कहना है भविष्य में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नर्सरी का आकार और पौधों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। यह पहल ग्राम स्तर पर हरियाली बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय रोजगार सृजन की दिशा में भी महत्वपूर्ण साबित होगी। गोपाललाल स्वर्णकार, सीईओ , जिला परिषद बांसवाड़ा