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जयपुर में नीट यूजी में डमी कैंडिडेट बैठाकर एग्जाम पास कराने के मामले में दो डॉक्टर और एक मेडिकल स्टूडेंट को गिरफ्तार किया है। एग्जाम पास कराने के लिए 60 लाख रुपए में सौदा किया था। मामला चौमूं थाना इलाके का है। डीसीपी (वेस्ट) अमित कुमार ने बताया- फर्जीवाड़े की सूचना मिलने पर एफआईआर दर्ज कर ACP (चौमूं) अशोक चौहान ने जांच शुरू की थी। पुलिस ने शुक्रवार को कार्रवाई करते हुए डॉक्टर सुभाष सैनी (33) निवासी जैतपुरा चौमूं, सचिन गोरा (22) पुत्र हरदेव गोरा और अजीत गोरा (30) पुत्र रामपाल गोरा निवासी लक्ष्मी विहार, कचौलिया चौमूं को अरेस्ट किया। आरोपी सचिन गोरा वर्तमान में एमबीबीएस फाइनल ईयर एम्स जोधपुर का स्टूडेंट है। अजीत गोरा जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज भरतपुर से एमबीबीएस करने के बाद इंटर्नशिप कर रहा है। वहीं डॉक्टर सुभाष सैनी कॉमन हेल्थ ऑफिसर(CHO) के पद पर घाटवा (कुचामन) नागौर में पोस्टेड है। 60 लाख रुपए में हुआ था सौदा
डीसीपी (वेस्ट) अमित कुमार ने बताया- सचिन गोरा ने साल-2020 में आयोजित नीट यूजी को पास करने के लिए डॉक्टर सुभाष सैनी से कॉन्टैक्ट किया। डॉक्टर सुभाष सैनी के जरिए 60 लाख रुपए में एग्जाम पास करवाने का सौदा किया गया। जांच में सामने आया कि सचिन की जगह अजीत गोरा ने डमी बैठकर एग्जाम दिया था। एग्जाम में 667 अंक हासिल किए थे। इसके लिए नीट में सचिन गोरा की जगह अजीत गोरा की फोटो लगाकर आवेदन किया गया था। सचिन गोरा का एमबीबीएस के लिए जोधपुर एम्स में दाखिला हो गया था। सचिन गोरा ने कभी नीट दिया ही नहीं था। फिलहाल पकड़े गए दो डॉक्टरों और एक मेडिकल स्टूडेंट से पूछताछ जारी है। ऐसे आया था मामला सामने
15 मई को चौमूं निवासी 45 साल के व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। जांच के दौरान पिछले 15 दिनों में कार्रवाई में एनटीए और संबंधित संस्थानों से रिकॉर्ड लिया गया था। परमिशन लेटर में भी सचिन की जगह अजीत के फोटो लगाकर एग्जाम देना सामने आया था। जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज भरतपुर और एम्स जोधपुर मेडिकल कॉलेज से भी आवश्यक रिकॉर्ड मांगा गया था। मामले के खुलासे में भरतपुर और जोधपुर पुलिस ने भी मदद की।

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