करवा चौथकरवा चौथ

करवा चौथ (Karva Chauth) पर छलनी में से क्यों देखा जाता है पति का चेहरा? महत्व जान आप भी होंगे खुश

 

करवा चौथ(Karva Chauth), भारतीय नारियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें पति की लम्बी आयु और खुशियों की कामना की जाती है। इस खास दिन के अवसर पर, पत्नियाँ अपने पत्नियों के लिए प्रार्थनाएँ करती हैं और उनके लिए व्रत रखती हैं, ताकि उनके पतियों की लम्बी आयु और सुख-शांति की कामना कर सकें।

इस खास दिन के अवसर पर, पत्नियाँ अपने पत्नियों के लिए खास खुशियों की कामना करती हैं, और इसे पूरा करने के लिए व्रत रखती हैं। इस पूजा के महत्वपूर्ण तिथि के अलावा, करवा चौथ का एक और महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें मिट्टी की छलनी और कांस के तृण का भी महत्व होता है। करवा चौथ के दिन मिट्टी की छलनी का महत्व व्यक्त होता है, क्योंकि इसे पूजा के अंदर उपयोग किया जाता है।

पंडित बाल शुक आशीर्वाद जी महाराज बताते हैं कि करवा चौथ के दिन महिलाएं प्रातः 4 बजे से उठकर पहले स्नान करती हैं, फिर ध्यान करती हैं, और भगवान की पूजा करती हैं। इसके बाद, रात में जब चंद्रमा उदय होता है, तब उन्होंने चलनी में से पति के चेहरे को देखा जाता है। इसका महत्व यहाँ तक है कि कहा जाता है कि छलनी के माध्यम से पति का चेहरा देखने से पतिव्रता पत्नियों के लिए पति की लम्बी आयु और खुशियाँ की प्राप्ति होती है।

करवा चौथ
करवा चौथ (Karva Chauth)

करवा चौथ के महत्वपूर्ण रितुअल्स में से एक है कांस की तृण से संबंधित कलश में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ्य देना। मान्यता है कि कांस की तृण से जल देवताओं तक पहुंचता है और व्रत की सफलता के लिए अद्वितीय महत्व रखता है।

करवा चौथ का यह पारंपरिक त्योहार न केवल प्रेम और संबंधों का महत्व उजागर करता है,

बल्कि भारतीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रकट करता है। यह त्योहार महिलाओं के लिए उनके पतिव्रता धर्म का प्रतीक है और उनके परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृत धरोहर है। करवा चौथ का त्योहार भारतीय संस्कृति के मूल्यों और सम्प्रदाय के महत्व को दर्शाता है और इसका सफलता से मनाने में महिलाएं और परिवार सभी के लिए खुशियों भरा होता है।

करवा चौथ का त्योहार महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, और यह उनकी सांस्कृतिक गहनता और प्रेम के साथ जुड़ा होता है। इसके अलावा, इस त्योहार के रितुअल्स और मान्यताएं भारतीय संस्कृति की धरोहरों को जीवंत रखने में मदद करती हैं, और समाज के व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों को मजबूत करती हैं।

करवा चौथ पर पति को छलनी में से क्यों देखते हैं
वहीं, चलनी से व्रती महिलाएं चंद्रमा के दर्शन करती हैं. छलनी इसलिए क्योंकि स्पष्ट रूप से चंद्रमा का हम लोगों को दर्शन नहीं करना चाहिए. किसी न किसी की आड़ में हम लोगों को चंद्रमा का दर्शन करना चाहिए. वहीं, इस छलनी से अपने पति के मुख दर्शन व्रती महिलाएं करती हैं और प्रार्थना करती हैं कि जैसे छलनी में सैकड़ों छेद हैं, वैसे ही उन छिद्रों के बीच से पति को देखने पर उनकी उम्र भी सैकड़ों वर्ष की हो. मिट्टी के करवा में जल भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और फिर पति अपनी पत्नी को जलपान कराकर उसके व्रत को परिपूर्ण करता है.

करवा चौथ (Karva Chauth)
करवा चौथ (Karva Chauth)

पुराणों में भी मिलता है उल्लेख
करवा चौथ का व्रत पुराणों में उल्लिखित एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जिसमें पत्नियाँ अपने पति की लंबी आयु और सुख-शांति की कामना करती हैं। इस पर्व के दिन, पत्नियाँ दिनभर उपवास करती हैं और सूर्यास्त के बाद ही अपने पति के चेहरे को देखती हैं, जिसे छलनी के माध्यम से किया जाता है। यह अपने पति की लंबी आयु और परिवार के सुख की कामना का प्रतीक होता है।

इस व्रत की महत्वपूर्ण कथा भी पुराणों में मिलती है, जो प्रजापति दक्ष और चंद्रमा (सोम) के बीच हुई एक घटना के बारे में है। इस कथा के अनुसार, प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया कि वह क्षीण हो जाएँ, और जो भी उसके दर्शन करेगा, उस पर कलंक आएगा। चंद्रमा रोते हुए शंकर भगवान के पास गए और उन्होंने यह समस्या उठाई। शंकर भगवान ने उन्हें बताया कि सब चतुर्थी तिथियों की श्राप व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को जो भी व्रती और पत्नी यह व्रत करेंगे, उनके सभी दोष और कलंक मिट जाएंगे। इससे यह परंपरा बढ़ी और करवा चौथ का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अधिक महत्वपूर्ण बन गया है, जिसमें पत्नियाँ अपने पति के लिए व्रत रखकर और पूजा-अर्चना करके उनके लंबी आयु और खुशियों की कामना करती हैं। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है जो भारतीय समाज में महिलाओं के प्रेम और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। – By Raj Daily News (rajdailynews.in)

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